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    20 हजार की पूंजी से खड़ी की कंपनी.. आज इतना टर्नओवर, मप्र की दो महिलाओं का कमाल

    अक्सर कहा जाता है कि बड़े सपने देखने के लिए बड़ी पूंजी की नहीं, बल्कि बड़े हौसले की जरूरत होती है। मध्य प्रदेश की जबलपुर की दो दृढ़ निश्चयी महिलाओं निरुपमा सिंह शर्मा और अंजना भामरा ने इस बात को सच कर दिखाया है। उन्होंने मात्र 20,000 की शुरुआती पूंजी के साथ द सैफ्रॉन सागा नामक एक सफल फैशन ब्रांड खड़ा किया है, जो आज फैशन जगत में अपनी अलग पहचान बना रहा है। आज इसका टर्नओवर 1.50 करोड़ है। दरअसल निरुपमा और अंजना दोनों ही फैशन की दुनिया से जुड़ी रही थीं।

    मुश्किल दौर को पीछे छोड़ा

    निरुपमा ने फैशन डिजाइनिंग की पढ़ाई की थी और अंजना को रिटेल क्षेत्र का अनुभव था। दोनों का साझा सपना था कि वे कुछ ऐसा करें जो भारतीय संस्कृति और आधुनिक फैशन का मेल हो। अपनी सीमित पूंजी के साथ, उन्होंने 2020 में द सैफ्रॉन सागा की नींव रखी। शुरुआत में वे केवल हाथ से बने छोटे-छोटे एथनिक वियर और एक्सेसरीज बनाती थीं और उन्हें स्थानीय मेलों और छोटे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर बेचती थीं। इस बीच कोरोना और लॉकडाउन भी आया, लेकिन उन्होंने हौसला नहीं खोया। महामारी के इस दौर को पार कर यह ब्रांड अब बड़ा बन चुका है।

    चुनौतियां और दृढ़ता

    किसी भी नए व्यवसाय की तरह, उन्हें भी शुरुआती दौर में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। सीमित संसाधनों, विपणन की कमी और प्रतिस्पर्धा के बावजूद, उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने अपने उत्पादों की गुणवत्ता और विशिष्टता पर ध्यान केंद्रित किया। वे ग्राहकों की प्रतिक्रिया को गंभीरता से लेती थीं और लगातार अपने डिजाइनों में सुधार करती थीं। उनकी मेहनत और लगन रंग लाई और धीरे-धीरे उनके उत्पादों की मांग बढऩे लगी।

    भारतीय कला और आधुनिकता का संगम

    द सैफ्रॉन सागा की खासियत यह है कि यह भारतीय पारंपरिक कला और शिल्प को आधुनिक डिजाइनों के साथ खूबसूरती से जोड़ता है। वे ब्लॉक प्रिंटिंग, हैंड एम्ब्रायडरी और प्राकृतिक रंगों का उपयोग करती हैं, जिससे उनके कपड़े न केवल आकर्षक दिखते हैं, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल भी होते हैं। उनके ब्रांड में साड़ी, कुर्ते, ड्रेसेस और होम फर्निशिंग तक, विभिन्न प्रकार के उत्पाद शामिल हैं, जो हर वर्ग के ग्राहकों को आकर्षित करते हैं।

    ऐसी है सफलता की कहानी

    आज द सैफ्रॉन सागा एक स्थापित ब्रांड बन चुका है, जिसके ग्राहक भारत के कोने-कोने में फैले हुए हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसकी पहचान बन रही है। उन्होंने कई लोगों को रोजगार भी दिया है, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों की महिला कारीगरों को, जिससे वे आत्मनिर्भर बन रही हैं। निरुपमा और अंजना की कहानी उन सभी महत्वाकांक्षी उद्यमियों के लिए एक प्रेरणा है जो कम पूंजी के साथ बड़े सपने देखते हैं। यह दर्शाता है कि जुनून, कड़ी मेहनत और सही रणनीति के साथ, कोई भी बाधा पार की जा सकती है। उनकी यह सफलता मध्य प्रदेश के लिए भी गर्व का विषय है, जो महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने में एक मिसाल कायम कर रही है।

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