महान स्वतंत्रता सेनानी, दार्शनिक और समाज सुधारक विनायक दामोदर सावरकर, जिन्हें वीर सावरकर के नाम से जाना जाता है, उनकी आज 142वीं जयंती है। इस अवसर पर देशभर में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस खास मौके पर वीर सावरकर को नमन करते हुए उनके योगदान को याद किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट में वीर सावरकर को श्रद्धांजलि देते हुए लिखा, वीर सावरकर को उनकी जयंती पर सादर नमन। उनका जीवन देश के लिए बलिदान, संघर्ष और तपस्या की प्रेरणा देता है। उन्होंने हमेशा राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखा और समाज सुधार के लिए अथक प्रयास किए।
सेलुलर जेल में कठोर यातनाएं सहीं
वीर सावरकर का जन्म 28 मई 1883 को महाराष्ट्र के नासिक जिले के भागूर गांव में हुआ था। वह एक ऐसे क्रांतिकारी थे जिन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ आवाज बुलंद की और देश की आजादी के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। उन्होंने अभिनव भारत जैसे क्रांतिकारी संगठनों की स्थापना की और हिंदुत्व की विचारधारा को प्रतिपादित किया। उनकी पुस्तक द इंडियन वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस 1857 ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सावरकर को अंग्रेजों ने दो बार आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी और उन्हें अंडमान निकोबार द्वीप समूह की सेलुलर जेल में रखा गया था, जहां उन्होंने कठोर यातनाएं सहीं। जेल से बाहर आने के बाद भी उन्होंने समाज सुधार और अस्पृश्यता उन्मूलन के लिए काम किया।
कोर्ट ने भी बहस पर लगाई लताड़
हालांकि, उनके विचारों और भूमिका को लेकर भारत में हमेशा एक बहस रही है, लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं कि वीर सावरकर ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और लाखों भारतीयों को प्रेरित किया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने उनके माफीनामे पर सवाल उठाए थे। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि क्रांतिकारियों का अपमान नहीं होना चाहिए। महात्मा गांधी भी इस तरह के पत्र लिखते थे, तो क्या वे भी अंग्रेजों के सेवक हो गए।