भारत का स्वदेशी हल्का लड़ाकू विमान तेजस (LCA Tejas) कई मायनों में पाकिस्तान और चीन द्वारा संयुक्त रूप से विकसित JF-17 थंडर से कहीं अधिक ताकतवर साबित हो रहा है। भारतीय वायुसेना के लिए यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो हमारी रक्षा क्षमताओं को और मजबूत करती है।
ऊंचाई और मारक क्षमता में बढ़त
तेजस की एक बड़ी खासियत इसकी उच्च-ऊंचाई पर उड़ान भरने की क्षमता है। यह विमान 52,000 फीट तक की ऊंचाई पर उड़ान भर सकता है, जिससे यह दुश्मन के इलाके में गहराई तक घुसकर हमला करने और मिसाइलें दागने में सक्षम है। JF-17 की तुलना में तेजस की यह क्षमता इसे एक रणनीतिक बढ़त देती है, खासकर पहाड़ी या ऊंचे इलाकों में ऑपरेशन के लिए।
गति और बहुमुखी प्रतिभा
तेजस की अधिकतम गति 2200 किलोमीटर प्रति घंटा (लगभग 1.8 मैक) से अधिक है, जबकि JF-17 की अधिकतम गति 1960 किलोमीटर प्रति घंटा है। यह तेजस को हवा से हवा और हवा से जमीन पर हमला करने के लिए विभिन्न प्रकार के हथियारों और मिसाइलों, जैसे स्वदेशी ब्रह्मोस, डर्बी, पाइथन-5, आर-73, अस्त्र, असराम और मेटियोर को ले जाने की क्षमता प्रदान करता है। इसमें एंटी-शिप मिसाइलें, बम और रॉकेट भी लगाए जा सकते हैं।
स्वदेशी और उन्नत तकनीक
तेजस को भारत में ही एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा विकसित किया गया है। इसका Mk1A वर्जन अपने पूर्ववर्ती Mk1 का एक उन्नत रूप है, जिसमें डिजिटल फ्लाई-बाय-वायर फ्लाइट कंट्रोल कंप्यूटर, उन्नत एवियोनिक्स और रडार सिस्टम जैसी अत्याधुनिक तकनीकें शामिल हैं। लगभग 50% कलपुर्जे भारत में ही निर्मित हैं, जो इसे ‘आत्मनिर्भर भारत’ का एक बड़ा उदाहरण बनाता है।
विश्वसनीयता और युद्ध-तैयारी
तेजस का रिकॉर्ड एक्सीडेंट के मामले में काफी बेहतर है, जबकि JF-17 को कई क्रैश का सामना करना पड़ा है। यह तेजस को अधिक विश्वसनीय बनाता है। इसके अलावा, तेजस की अवेलेबिलिटी रेशियो JF-17 से कहीं बेहतर है, जिसका अर्थ है कि यह युद्ध की स्थिति में अधिक तेजी से और बार-बार मिशन पर भेजा जा सकता है। तेजस न केवल गति और मारक क्षमता में JF-17 से आगे है, बल्कि इसकी स्वदेशी तकनीक, विश्वसनीयता और उच्च-ऊंचाई पर बेहतर प्रदर्शन की क्षमता इसे भारतीय वायुसेना के लिए एक अमूल्य संपत्ति बनाती है, जो दुश्मन पर कहर बरपाने में पूरी तरह सक्षम है।