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    पाकिस्तान को यूं ही नहीं छोड़ेंगे पीएम मोदी.. इन खास प्लान पर हो रहा काम

    पहलगाम आतंकी हमले और भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बाद हुए ऑपरेशन सिंदूर से मोदी सरकार ने आतंक के आकाओं को साफ संदेश दे दिया है। अब भारत सरकार पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और अधिक अलग-थलग करने के लिए एक खास प्लान पर काम कर रही है। सूत्रों के अनुसार, यह योजना पाकिस्तान पर चौतरफा दबाव बनाने, उसकी आर्थिक और सैन्य कमजोरियों को उजागर करने और उसे आतंक के प्रायोजक के रूप में विश्व मंच पर बेनकाब करने पर केंद्रित है। भारत सरकार पाकिस्तान को आतंक की खेती बंद करने के लिए मजबूर करने और उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करने के लिए एक बहुआयामी रणनीति पर काम कर रही है। इसका संदेश कल पीएम मोदी ने बीकानेर से दिया है। उन्होंने साफ कहा कि पाकिस्तान को पाई-पाई के लिए मोहताज कर देंगे।

    कूटनीतिक दबाव और आर्थिक घेराबंदी

    भारत, पाकिस्तान को वैश्विक मंचों पर लगातार घेर रहा है। हाल ही में, भारत ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा पाकिस्तान को दिए गए ऋण पर भी आपत्ति जताई थी, हालांकि ढ्ढरूस्न ने अपने फैसले का बचाव किया। भारत की कोशिश है कि फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफटीसी) जैसी संस्थाओं में पाकिस्तान पर दबाव बनाए रखा जाए ताकि उसे ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने में मुश्किल हो। व्यापारिक मोर्चे पर भी भारत ने पाकिस्तान से सभी प्रकार के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिससे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हो रहा है।

    सैन्य और रणनीतिक उपाय

    भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ अपनी सैन्य रणनीति में भी बदलाव किया है। ऑपरेशन सिंदूर जैसे अभियान भारत की यह स्पष्ट मंशा दिखाते हैं कि वह सीमा पार आतंकवाद के प्रति अब और अधिक आक्रामक रुख अपनाएगा। सैन्य ठिकानों को ध्वस्त करने और पाकिस्तान के एयर डिफेंस सिस्टम को बेनकाब करने जैसी कार्रवाइयां यह दर्शाती हैं कि भारत ने खेल का मैदान भी बदल दिया है, और नियम भी।

    क्रिकेट डिप्लोमेसी पर असर

    क्रिकेट के मैदान पर भी इसका असर दिख रहा है। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने भविष्य के आईसीसी और एससी टूर्नामेंटों में भारत और पाकिस्तान को ग्रुप स्टेज में एक साथ न रखने का फैसला किया है। यदि यह निर्णय लागू होता है, तो पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड को वित्तीय रूप से भारी नुकसान होगा, क्योंकि भारत-पाकिस्तान मैच क्रिकेट जगत में सबसे ज्यादा राजस्व पैदा करते हैं। पाकिस्तान सुपर लीग (पीएसएल) के बचे हुए मैचों का बिना हॉकआई और डीआरएस तकनीक के होना भी इस तनाव का सीधा परिणाम है, क्योंकि इन तकनीकों को संभालने वाले अधिकांश विशेषज्ञ भारत से हैं।

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