कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ऑपरेशन सिंदूर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उससे जुड़े बयानों को लेकर उन पर तीखा हमला बोला है। राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री के उस बयान पर तंज कसा है, जिसमें मोदी ने कहा था कि मोदी का दिमाग ठंडा है, ठंडा रहता है, लेकिन मोदी का लहू गरम रहता है। मोदी की नसों में अब लहू नहीं, गरम सिंदूर बह रहा है। राहुल ने कहा कि उनका खून सिर्फ़ कैमरों के सामने ही क्यों गरम होता है? यह तंज प्रधानमंत्री के राजस्थान के बीकानेर में दिए गए एक भाषण के बाद आया है। राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए एक्स पर एक पोस्ट में लिखा कि मोदी जी, खोखले भाषण देना बंद कीजिए। राहुल गांधी का यह हमला एक ऐसे समय में आया है जब देश में हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद तनाव का माहौल है। ऐसे संवेदनशील समय में सुरक्षा और राष्ट्रीय गौरव से जुड़े मुद्दों पर प्रधानमंत्री पर सीधा हमला करना एक जोखिम भरा कदम हो सकता है।
यह भी है खतरा
- राष्ट्रवाद की भावना : प्रधानमंत्री मोदी अक्सर राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख को लेकर अपनी मजबूत छवि प्रस्तुत करते रहे हैं। ऑपरेशन सिंदूर जैसे शब्दों का इस्तेमाल भी इसी भावना को प्रबल करता है। ऐसे में, इन बयानों पर सवाल उठाना कुछ वर्गों में राहुल गांधी के प्रति नकारात्मक धारणा बना सकता है, खासकर उन मतदाताओं में जो राष्ट्रीय सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हैं।
- पाकिस्तान और ट्रंप का जिक्र : पाकिस्तान और डोनाल्ड ट्रंप का जिक्र करना भी राजनीतिक रूप से संवेदनशील हो सकता है। पाकिस्तान पर भरोसा करने का आरोप लगाना या ट्रंप के सामने झुकने का दावा करना देश की जनता और प्रधानमंत्री के समर्थकों को रास नहीं आ सकता।
- समय का चुनाव : चुनाव के अंतिम चरण और कश्मीर में हुए आतंकी हमले के ठीक बाद इस तरह के बयान देना, विपक्ष को सरकार पर निशाना साधने का मौका तो देता है, लेकिन यह भी देखना होगा कि क्या जनता इसे सकारात्मक रूप में लेती है या इसे एक असंवेदनशील राजनीतिक हमला मानती है। खासतौर पर जब कुछ महीने बाद ही बिहार में चुनाव होने हैं। ऐसे में भाजपा ऑपरेशन सिंदूर का गुणगान करेगी तो कांग्रेस मोदी पर हमलावर होगी। अब देखना होगा कि जनता पर इसका क्या असर होता है।
कांग्रेस का यह है तर्क
हालांकि कांग्रेस का तर्क है कि वे प्रधानमंत्री से देश की सुरक्षा से जुड़े अहम सवालों का जवाब मांग रहे हैं और सरकार की नीतियों पर सवाल उठाना उनका लोकतांत्रिक अधिकार है। यह देखना बाकी है कि राहुल गांधी का यह आक्रामक रुख मतदाताओं पर क्या प्रभाव डालता है।