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    एआई के साथ Su-57M ने भरी उड़ान.. जानें 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान में क्या है खास

    रूसी एयरोस्पेस उद्योग ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए अपने उन्नत पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान सुखोई Su-57M की पहली उड़ान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) सिस्टम के साथ सफलतापूर्वक पूरी की है। 15 मई 2025 को हुई इस ऐतिहासिक उड़ान ने विमानन जगत में एक नया अध्याय जोड़ दिया है। परीक्षण पायलट सर्गेई बोगदान के अनुसार एआई सिस्टम विमान के उड़ान, नेविगेशन और कुछ हद तक युद्धक कार्यों को भी स्वायत्त रूप से नियंत्रित करने में सक्षम हैं। यह पायलट पर कार्यभार को कम करेगा और मिशन की सफलता की संभावनाओं को बढ़ाएगा। Su-57M, मूल Su-57 का एक उन्नत संस्करण है, जिसमें बेहतर एवियोनिक्स, एक नया इंजन और उन्नत हथियार प्रणाली शामिल हैं। इसका उद्देश्य पश्चिमी पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों जैसे अमेरिकी F-22 रैप्टर और F-35 लाइटनिंग II को टक्कर देना है।

    क्या भारत खरीदेगा पांचवीं

    अब सवाल यह उठता है कि क्या भारत इस नवीनतम रूसी तकनीक में दिलचस्पी दिखाएगा? भारत पहले से ही रूस के साथ मिलकर पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान कार्यक्रम पर काम कर रहा था, लेकिन बाद में इस परियोजना से अलग हो गया और अपने स्वदेशी उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। हालांकि, बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य और अपनी वायुसेना की आवश्यकताओं को देखते हुए, भारत सीमित संख्या में Su-57M विमानों की खरीद पर विचार कर सकता है। रूस ने एयरो इंडिया 2025 में भारत को Su-57M (निर्यात संस्करण) के सह-उत्पादन की पेशकश भी की थी, जिसमें मौजूदा Su-30MKI के बुनियादी ढांचे का उपयोग करने की बात कही गई थी। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को अपनी रणनीतिक जरूरतों और स्वदेशी कार्यक्रम की प्रगति को ध्यान में रखते हुए इस पर विचार करना होगा। Su-57M की एआई क्षमता निश्चित रूप से भारतीय वायुसेना के लिए एक आकर्षक विकल्प हो सकती है, लेकिन इसकी लागत, रखरखाव और रूसी तकनीक पर निर्भरता जैसे कारकों पर भी ध्यान देना होगा। फिलहाल, भारत की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन इस घटनाक्रम पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं।

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