भारत ने पाकिस्तान का साथ देने वाले तुर्की और अजरबैजान के खिलाफ कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।मुख्य रूप से पाकिस्तान के साथ उनके बढ़ते समर्थन और भारत विरोधी रुख के कारण। ऑपरेशन सिंदूर के बाद जब तुर्की और अजरबैजान ने सार्वजनिक रूप से पाकिस्तान का समर्थन किया और भारत की सैन्य कार्रवाई की आलोचना की, तो भारत ने कड़ा रुख अपनाया है।
ये उठाए प्रमुख कदम
- आर्थिक प्रतिबंध: भारत ने तुर्की और अजरबैजान के साथ व्यापारिक संबंधों को कम करना शुरू कर दिया है। भारतीय व्यापारियों के शीर्ष संगठन CAIT ने दोनों देशों के साथ सभी प्रकार के व्यापारिक और वाणिज्यिक संबंधों को समाप्त करने का आह्वान किया है। इसके परिणामस्वरूप, कई ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म और खुदरा विक्रेताओं ने तुर्की के उत्पादों को बेचना बंद कर दिया है।
- विमानन अनुबंध रद्द: अडानी समूह, जो मुंबई और अहमदाबाद के प्रमुख हवाई अड्डों का संचालन करता है, ने तुर्की की विमानन सेवा कंपनी सेलेबी के साथ अपने ग्राउंड हैंडलिंग अनुबंधों को समाप्त कर दिया है। दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे ने भी इसी तरह के कदम उठाए हैं। एयर इंडिया कथित तौर पर इंडिगो एयरलाइंस के तुर्की एयरलाइंस के साथ गीले पट्टे के समझौते को रद्द करने के लिए सरकार पर दबाव डाल रही है।
- पर्यटन पर प्रभाव: भारत में ट्रैवल एजेंसियों और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म ने तुर्की और अजरबैजान को पर्यटन स्थलों के रूप में बढ़ावा देना बंद कर दिया है। कई भारतीयों ने इन देशों की अपनी यात्रा योजनाएं रद्द कर दी हैं।
- सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर रोक: भारतीय फिल्म उद्योग से भी तुर्की और अजरबैजान में फिल्म शूटिंग और प्रचार गतिविधियों को रोकने का आग्रह किया गया है।
- राजनयिक संदेश: भारत ने स्पष्ट रूप से अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर तुर्की और अजरबैजान के पाकिस्तान के प्रति झुकाव को उजागर किया है। इन कदमों का उद्देश्य तुर्की और अजरबैजान को उनके पाकिस्तान के प्रति समर्थन के लिए एक मजबूत संदेश देना और उन्हें भारत के हितों के खिलाफ जाने से रोकना है।