भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर कई देशों के साथ बातचीत कर भारत का पक्ष रखते रहते हैं। उन्होंने पहली बार अगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री मावलवी आमिर खान मुत्ताकी के साथ फोन पर बात की। इस बातचीत में भारत और अफगानिस्तान के बीच पाकिस्तान द्वारा अविश्वास पैदा करने के कोशिशों का भी जिक्र हुआ। दरअसल पिछले दिनों पाकिस्तानी सेना ने दावा किया था कि भारत ने अफगानिस्तान को भी मिसाइलों से निशाना बनाया था। भारत ने इसे सिरे से खारिज किया था। वहीं तालिबान ने भी कह दिया था कि वह मूर्ख नहीं है, जो उसकी बातों में आ जाए। अफगानिस्तान तो पाक की बातों में नहीं आया। इसके साथ यह भारत और अफगानिस्तान के तालिबान प्रशासन के बीच पहली मंत्री स्तरीय बातचीत है।
तालिबान ने की थी पहलगाम हमले की निंदा
विदेश मंत्री ने कहा कि उनकी मुत्ताकी के साथ अच्छी बात हुई है। एक्स पर जयशंकर ने लिखा कि वह पहलगाम आतंकी हमले को लेकर उनकी ओर से की गई भत्र्सना को सराहते हैं। उन्होंने आधारहीन रिपोर्ट के जरिए दोनों देशों के बीच अविश्वास पैदा करने की कोशिशों को मुत्ताकी की ओर से खारिज किए जाने का स्वागत किया। जयशंकर ने लिखा कि अफगान लोगों के साथ पारंपरिक दोस्ती को रेखांकित किया गया। दोनों नेताओं में चर्चा हुई कि इस सहयोग को आगे कैसे लेकर जाया जा सकता है। इससे पहले विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने भारतीय मिसाइल के अफगानिस्तान में हिट होने को लेकर बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि सब जानते हैं कि पिछले डेढ़ साल से अफगानिस्तान पर कौन हमले कर रहा है।
भारत और तालिबान के बीच बढ़ रहे रिश्ते
28 अप्रैल को विदेश मंत्रालय के जॉइंट सेक्रेटरी आनंद प्रकाश ने मुत्ताकी से मुलाकात की थी। भारत और पाकिस्तान के संबंधों में तनाव के बीच भारतीय प्रतिनिधिमंडल काबुल गया था, जहां द्विपक्षीय व्यापार और सहयोग को लेकर चर्चा हुई थी। जनवरी में विदेश सचिव विक्रम मिस्री और मुत्ताकी की मुलाकात हुई थी। बीते कुछ समय से भारत, अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को मान्यता न देकर भी इंगेज करने को लेकर आगे बढ़ रहा है। वहीं पाकिस्तान और तालिबान के रिश्ते बुरी तरह से बिगड़ चुके हैं।