राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट से एक महत्वपूर्ण कानूनी सवाल पूछा है कि क्या अदालत किसी विधेयक को मंजूरी देने के लिए राज्यपाल या राष्ट्रपति के लिए समय सीमा तय कर सकती है? यह सवाल तब उठा है जब कुछ राज्यों में राज्यपालों द्वारा विधेयकों को मंजूरी देने में देरी के आरोप लगे हैं। यह मामला इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे राज्यपालों और राष्ट्रपतियों की शक्तियों और राज्य विधानसभाओं के अधिकारों के बीच संतुलन पर असर पड़ेगा। कुछ राज्यों ने आरोप लगाया है कि राज्यपाल जानबूझकर विधेयकों को रोक रहे हैं, जिससे राज्य सरकारों के कामकाज में बाधा आ रही है।
सुप्रीम कोर्ट के इस मामले पर फैसला देने से भारतीय संविधान के तहत राज्यपाल और राष्ट्रपति की शक्तियों और भूमिकाओं को स्पष्ट करने में मदद मिलेगी। इससे राज्यों और केंद्र के बीच संबंधों पर भी असर पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट का फैसला इस बात को भी स्पष्ट करेगा कि क्या अदालतें राज्यपालों और राष्ट्रपतियों को विधेयकों पर कार्रवाई करने के लिए समय सीमा निर्धारित कर सकती हैं।
राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट से पूछे ये प्रमुख सवाल
- क्या सुप्रीम कोर्ट राज्यपाल या राष्ट्रपति को विधेयक पर फैसला लेने के लिए समय सीमा तय कर सकता है?
- क्या राज्यपाल या राष्ट्रपति को किसी विधेयक को अनिश्चित काल के लिए लंबित रखने का अधिकार है?
- क्या राज्यपाल या राष्ट्रपति को किसी विधेयक को पुनर्विचार के लिए राज्य विधानसभा को वापस भेजने के बाद उसे मंजूरी देनी ही होगी?
- क्या किसी विधेयक को मंजूरी देने में देरी को असंवैधानिक माना जा सकता है?
- क्या सुप्रीम कोर्ट को राज्यपाल और राष्ट्रपति के कार्यालयों के बीच संवैधानिक संबंधों को स्पष्ट करना चाहिए?