भारत ने पिछले कुछ वर्षों में सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ अपनी रणनीति को और अधिक आक्रामक बनाया है, जिसके परिणामस्वरूप पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों पर कई महत्वपूर्ण सैन्य कार्रवाइयां की गई हैं। सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक और अब ऑपरेशन सिंदूर ऐसे तीन बड़े उदाहरण हैं, जिन्होंने पाकिस्तान के आतंकी ढांचे को हिलाकर रख दिया है।
2016 में उरी का लिया बदला
सबसे पहले, सितंबर 2016 में उरी में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारतीय सेना ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) पार करके सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया था। इस कार्रवाई में कई आतंकी शिविरों को नष्ट किया गया और बड़ी संख्या में आतंकवादियों को मार गिराया गया। इस साहसिक कदम ने दुनिया को भारत की आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति का स्पष्ट संदेश दिया।
2019 में पुलवामा का लिया बदला
फरवरी 2019 में पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आत्मघाती हमले के बाद, भारत ने बालाकोट में एयर स्ट्राइक की। भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमानों ने पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में जैश-ए-मोहम्मद के एक बड़े प्रशिक्षण शिविर को निशाना बनाया और उसे पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया। इस हवाई हमले ने पाकिस्तान की हवाई सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए और भारत की जवाबी कार्रवाई की क्षमता को प्रदर्शित किया।
आज 90 आतंकी हलाक
अब पहलगाम में हुए बर्बर आतंकी हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया है। इस ऑपरेशन में भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना के संयुक्त दल ने पाकिस्तान और पीओके में स्थित नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया और लगभग 90 आतंकवादियों को मार गिराया। इस कार्रवाई की खास बात यह रही कि इसे उस समय अंजाम दिया गया जब पाकिस्तानी सेना भारतीय सेना की मॉक ड्रिल पर ध्यान केंद्रित कर रही थी, जिससे उन्हें जवाबी कार्रवाई का मौका नहीं मिल पाया। इन तीन बड़े प्रहारों ने न केवल पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों को भारी क्षति पहुंचाई है, बल्कि पाकिस्तान की सैन्य और खुफिया एजेंसियों पर भी दबाव बढ़ाया है। भारत की यह दृढ़ और निर्णायक कार्रवाई आतंकवाद के खिलाफ उसकी मजबूत इच्छाशक्ति को दर्शाती है और यह स्पष्ट करती है कि भारत अपनी सुरक्षा और नागरिकों की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। इन कार्रवाइयों ने पाकिस्तान को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देना उसके लिए कितना महंगा साबित हो सकता है।