ज्योर्तिमठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती कहा कि अगर राहुल गांधी हिंदू होते तो मनुस्मृति को अपनी किताब मानते। इस बयान ने राहुल गांधी के धार्मिक विश्वासों और मनुस्मृति के महत्व पर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्वामी जी के इस बयान ने राजनीतिक और धार्मिक क्षेत्रों में काफी चर्चा पैदा कर दी है। बलात्कारी के संरक्षण के मुद्दे पर राहुल गांधी ने संसद में कहा कि तुम्हारी किताब में लिखा है। उन्होंने साफ किया कि मनुस्मृति में संरक्षण देना लिखा है। अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि मनुस्मृति दुनिया का सबसे बड़ा संविधान है। इसके बाद से दुनिया के संविधान बने। हम तो उसी के अनुसार जीवन जी रहे हैं। राहुल गांधी का आक्षेप करना यह दर्शाता है कि उन्होंने कहा कि यह तुम्हारी किताब है। यानि मनुस्मृति को राहुल गांधी अपनी किताब मानते। वे हिंदू नहीं हैं इसलिए मनुस्मृति को अपनी किताब नहीं। यह हमारे लिए धर्मग्रंथ है।
हिंदुओं में भी मतभेद
मनुस्मृति, एक प्राचीन हिंदू ग्रंथ है, जो सामाजिक और धार्मिक नियमों का एक संग्रह है। हालांकि, यह ग्रंथ अपनी जातिवादी और महिला विरोधी टिप्पणियों के लिए विवादित रहा है। सभी हिंदू इसे समान रूप से स्वीकार नहीं करते हैं। राहुल गांधी ने खुद को एक हिंदू बताया है, लेकिन उन्होंने कभी भी मनुस्मृति का समर्थन नहीं किया है। उन्होंने हमेशा सामाजिक न्याय और समानता की बात की है। शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती एक सम्मानित हिंदू धार्मिक नेता हैं, लेकिन उनके इस बयान को सभी हिंदुओं का प्रतिनिधित्व नहीं माना जा सकता है। इस बयान ने राजनीतिक बहस को और तेज कर दिया है।
भाजपा ने खड़े किए सवाल
कांग्रेस पार्टी ने इसे एक राजनीतिक बयान बताया है, जबकि भाजपा ने इसे राहुल गांधी के हिंदू धर्म पर सवाल उठाने के रूप में देखा है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह बयान एक व्यक्तिगत राय है और इसे सभी हिंदुओं का प्रतिनिधित्व करने के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। यह बयान राजनीतिक और धार्मिक चर्चाओं को बढ़ावा दे सकता है, लेकिन यह समझना महत्वपूर्ण है कि विभिन्न लोगों के विभिन्न विचार होते हैं।
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