पाकिस्तान में कथित तौर पर युद्ध के लिए जनता से चंदा जुटाने के दावे सामने आ रहे हैं। इसका वीडियो जारी हुआ है जिसमें दावा किया जा रहा है कि जनता से चंदा जुटाया जा रहा है। पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद भारत के साथ बढ़े तनाव के माहौल में कंगाल पाकिस्तान की सिट्टी-पिट््टी गुम है। इस तरह की खबरें पाकिस्तान की आर्थिक बदहाली और संभावित युद्ध की स्थिति में उसकी कमजोर स्थिति को जरूर उजागर करती हैं। सोशल मीडिया और कुछ स्थानीय मीडिया रिपोट्र्स में ऐसे दावे किए जा रहे हैं कि पाकिस्तान में कुछ संगठन या व्यक्ति भारत के साथ संभावित युद्ध के लिए जनता से वित्तीय सहायता मांग रहे हैं। इन दावों में लोगों से दान करने की अपील की जा रही है ताकि देश की रक्षा के लिए हथियार और अन्य आवश्यक संसाधन खरीदे जा सकें। हालांकि इन दावों के पीछे कौन से संगठन हैं और कितनी धनराशि जुटाई जा रही है, इस बारे में कोई आधिकारिक जानकारी उपलब्ध नहीं है।
पाकिस्तान की आर्थिक बदहाली जगजाहिर
यह जगजाहिर है कि पाकिस्तान गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है। विदेशी मुद्रा भंडार घट रहा है, महंगाई आसमान छू रही है और सरकार को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से बेलआउट पैकेज के लिए कड़ी शर्तों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसी स्थिति में युद्ध के लिए जनता से चंदा जुटाने की खबरें देश की आर्थिक कमजोरी को और उजागर करती हैं। एक कमजोर अर्थव्यवस्था लंबे समय तक युद्ध का बोझ नहीं उठा सकती है।
जंग हुई तो पाकिस्तान की बदहाली तय
अगर भारत और पाकिस्तान के बीच किसी भी तरह का सैन्य संघर्ष होता है, तो पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति को देखते हुए उसकी बदहाली तय मानी जा सकती है। युद्ध के कारण पहले से ही चरमराई हुई अर्थव्यवस्था और भी बुरी तरह प्रभावित होगी। रक्षा खर्च में भारी वृद्धि होगी, विकास कार्य ठप हो जाएंगे और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर और भी अलग-थलग पडऩे का खतरा बढ़ जाएगा।
मजबूत अर्थव्यवस्था से निपटना चुनौती
पाकिस्तान की सैन्य क्षमता की तुलना भारत से करना भी मुश्किल है। भारत एक बड़ी और मजबूत अर्थव्यवस्था है और उसकी सैन्य शक्ति भी काफी अधिक है। किसी भी पारंपरिक युद्ध में पाकिस्तान के लिए भारत का मुकाबला करना बेहद चुनौतीपूर्ण होगा। पाकिस्तान में युद्ध के लिए जनता से चंदा जुटाने के दावे अगर सच भी हैं, तो यह देश की आर्थिक बदहाली और संभावित युद्ध की स्थिति में उसकी कमजोरी का स्पष्ट संकेत है। एक कमजोर अर्थव्यवस्था और सीमित सैन्य क्षमता के साथ, किसी भी तरह का सैन्य संघर्ष पाकिस्तान के लिए विनाशकारी साबित हो सकता है।