पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने सिंधु जल संधि को लेकर एक सख्त बयान दिया है। उन्होंने कहा कि सिंधु नदी पाकिस्तान की जीवनरेखा है और अगर भारत द्वारा इसके पानी को रोकने की कोशिश की गई, तो पाकिस्तान पूरी ताकत से जवाब देगा। यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि को लेकर तनाव बढ़ रहा है। शहबाज शरीफ ने डींगे हांकते हुए कहा कि ऐसा कौन सा देश है जिसने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में 600 अरब डॉलर का नुकसान उठाया है। जबकि हकीकत ये है कि पाकिस्तान की कुल जीडीपी ही 337 अरब डॉलर की है। ऐसे में जीडीपी से 300 अरब डॉलर ज्यादा का दावा कर शरीफ ने अपनी शराफत बता दी है।
पाकिस्तान के लिए एक अस्तित्व का मामला
शहबाज शरीफ ने हेकड़ी बताते हुए कहा कि सिंधु नदी पाकिस्तान के लिए एक अस्तित्व का मामला है और उनकी सरकार देश के किसानों और नागरिकों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने भारत पर आरोप लगाया कि वह सिंधु जल संधि का उल्लंघन कर रहा है और पाकिस्तान के हिस्से के पानी को रोक रहा है। पाकिस्तान इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाएगा और अगर जरूरत पड़ी तो कानूनी कार्रवाई भी करेगा।
यह है समझौता
दरअसल सिंधु जल संधि 1960 में हुई थी। भारत और पाकिस्तान के बीच यह एक हस्ताक्षरित समझौता है, जो दोनों देशों के बीच सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के पानी के बंटवारे को नियंत्रित करता है। इस संधि के तहत, भारत को तीन पूर्वी नदियों रावी, ब्यास और सतलुज का विशेष अधिकार दिया गया है, जबकि पाकिस्तान को तीन पश्चिमी नदियों – सिंधु, चिनाब और झेलम का अधिकार दिया गया है। विश्व बैंक ने इसमें मध्यस्थता की थी।
संधि के प्रावधानों का उल्लंघन करने का आरोप
पिछले कुछ वर्षों में दोनों देशों ने एक-दूसरे पर संधि के प्रावधानों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। पाकिस्तान का आरोप है कि भारत पश्चिमी नदियों पर पनबिजली परियोजनाओं का निर्माण करके उसके हिस्से के पानी को रोक रहा है। वहीं, भारत का कहना है कि उसकी परियोजनाएं संधि के प्रावधानों के अनुरूप हैं। सिंधु जल संधि को लेकर तनाव बढऩे से दोनों देशों के बीच पहले से ही तनावपूर्ण संबंधों में और खटास आ गई है। विश्लेषकों का मानना है कि यह मुद्दा दोनों देशों के बीच एक बड़े संघर्ष का कारण बन सकता है।
पाकिस्तान की बिलबिहाट आई सामने
शहबाज शरीफ के इस बयान को पाकिस्तान की गंभीरता का संकेत माना जा रहा है। उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि पाकिस्तान सिंधु नदी के पानी को लेकर किसी भी तरह का समझौता नहीं करेगा। अब देखना यह होगा कि भारत इस पर क्या प्रतिक्रिया देता है और क्या दोनों देश इस मुद्दे को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाने में सफल होते हैं। इस मुद्दे का समाधान न होने पर दोनों देशों के बीच जल युद्ध की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है, जिसका असर पूरे क्षेत्र पर पड़ेगा।