भाजपा सांसद निशिकांत दुबे एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। सुप्रीम कोर्ट पर सवाल उठाने के बाद अब उन्होंने पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस.वाई. कुरैशी पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि वे चुनाव आयुक्त नहीं बल्कि एक मुस्लिम आयुक्त थे। दुबे ने कुरैशी के कार्यकाल में झारखंड के संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठियों को मतदाता बनाने का आरोप लगाया है। यह बयान कुरैशी द्वारा वक्फ अधिनियम की आलोचना के बाद आया है, जिसे उन्होंने मुस्लिमों की जमीन हड़पने की सरकार की एक भयावह योजना बताया था। दुबे ने कुरैशी के इस बयान को सांप्रदायिक रंग देते हुए कहा कि कुरैशी चुनाव आयुक्त नहीं, बल्कि मुस्लिम आयुक्त की तरह व्यवहार कर रहे थे।
इतिहास का दिया हवाला
दुबे ने इतिहास का हवाला देते हुए कहा कि इस्लाम भारत में 712 ईस्वी में आया, जबकि वक्फ भूमि पहले हिंदुओं, आदिवासियों, जैनियों या बौद्धों की थी। उन्होंने अपने गांव विक्रमशिला का भी जिक्र किया, जिसे 1189 में बख्तियार खिलजी ने जला दिया था। दुबे ने कुरैशी पर इतिहास की गलत व्याख्या करने और सांप्रदायिक भावनाओं को भडक़ाने का आरोप लगाया। दुबे ने कुरैशी के कार्यकाल के दौरान संथाल परगना में हुए कथित मतदाता सूची घोटाले की जांच की मांग की। उन्होंने आरोप लगाया कि कुरैशी ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए बांग्लादेशी घुसपैठियों को मतदाता सूची में शामिल कराया, जिससे क्षेत्र की जनसांख्यिकी बदल गई। दुबे ने इस मामले में कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
एसवाई कुरैशी ने यह कहा था
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने वक्फ संशोधन अधिनियम की आलोचना करते हुए इसे मुसलमानों की जमीन हड़पने की सरकार की एक भयावह योजना बताया है। उन्होंने कहा कि यह अधिनियम वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने के बजाय, सरकार को इन संपत्तियों पर नियंत्रण करने का अधिकार देता है। कुरैशी ने यह भी कहा कि यह अधिनियम वक्फ बोर्डों की स्वायत्तता को कम करता है और उन्हें सरकार के अधीन कर देता है। उन्होंने चिंता जताई कि इससे वक्फ संपत्तियों का दुरुपयोग हो सकता है और मुसलमानों के हितों को नुकसान पहुंच सकता है।