सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों ने हाल ही में एक पूर्ण न्यायालय बैठक में अपनी संपत्ति सार्वजनिक रूप से घोषित करने पर सहमति व्यक्त की है। सर्वोच्च न्यायालय की वेबसाइट के अनुसार, भारत के सर्वोच्च न्यायालय के पूर्ण न्यायालय ने संकल्प लिया था कि न्यायाधीशों को पदभार ग्रहण करने पर और जब भी कोई महत्वपूर्ण प्रकृति का अधिग्रहण किया जाता है, तो मुख्य न्यायाधीश को अपनी संपत्ति की घोषणा करनी चाहिए। इसमें भारत के मुख्य न्यायाधीश द्वारा की गई घोषणाएं भी शामिल हैं। सर्वोच्च न्यायालय की वेबसाइट पर संपत्ति की घोषणा स्वैच्छिक आधार पर होगी।
पारदर्शिता को बढ़ावा देने का प्रयास
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों ने पारदर्शिता को बढ़ावा देने की दिशा में एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए अपनी संपत्ति की घोषणा सार्वजनिक रूप से करने का फैसला किया है। यह निर्णय 1 अप्रैल को हुई पूर्ण न्यायालय की बैठक के दौरान लिया गया। यह कदम न्यायपालिका में जनता का विश्वास और पारदर्शिता बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। अब तक सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश अपनी संपत्ति की घोषणा केवल मुख्य न्यायाधीश को देते थे, जो सार्वजनिक नहीं होती थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर संपत्ति की घोषणा स्वैच्छिक आधार पर होगी। यह निर्णय न्यायपालिका की स्वतंत्रता और निष्पक्षता को बनाए रखने में मदद करेगा।
इसलिए लिया निर्णय
हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के घर में जले हुए नोट मिलने की घटना सामने आई, जिससे न्यायाधीशों की चिंता बढ़ गई। सुप्रीम कोर्ट ने खुद इस मामले को संज्ञान में लिया। 14 मार्च को न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के सरकारी आवास में आग लगने की घटना हुई थी। आग बुझाने के दौरान दमकल कर्मियों को उनके घर के एक कमरे में बड़ी मात्रा में जले हुए नोट मिले। न्यायाधीश के घर में 500 रुपये के नोटों की कई बोरियां जली हुई मिलीं। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जांच के लिए तीन न्यायाधीशों की एक समिति का गठन किया। समिति ने न्यायाधीश के आवास का दौरा किया और घटना स्थल का निरीक्षण किया। हालांकि न्यायाधीश वर्मा ने इस घटना को उनके खिलाफ एक साजिश बताया है।