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    शांत और दया से पूर्ण है मां शैलपुत्री का स्वरूप.. जानें भोग, आरती की विधि और पूजा से लाभ

    चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ आज से हो चुका है। चैत्र नवरात्रि के 9 दिन तक मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरुपों की पूजा की जाती है। पहले दिन मां दुर्गा के पहले स्वरुप माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है। इस दिन घटस्थापना के बाद मां शैलपुत्री की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाएगी। माता पार्वती को मां शैलपुत्री कहा जाता है। उनका वाहन वृषभ है इसलिए उन्हें वृषभारूढ़ा भी कहा जाता है। मान्यता है कि जो व्यक्ति पूरी श्रद्धा और विधि विधान से मां शैलपुत्री का पूजा अर्चना करता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। जीवन में जो कष्ट हैं उनसे भी छुटकारा मिलता है।

    मां शैलपुत्री का स्वरूप

    मां शैलपुत्री का स्वरूप अत्यंत शांत, सरल, सुशील और दया से पूर्ण है। मां का रूप दिव्य और आकर्षक है। उनके दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का पुष्प शोभायमान है, जो उनके अद्भुत और शक्ति से भरे स्वरूप का प्रतीक है। मां की सवारी वृषभ है। मां शैलपुत्री का तपस्वी रूप प्रेरणादायक है। उन्होंने घोर तपस्या की है और समस्त जीवों की रक्षिका हैं। विपत्ति के समय में मां शैलपुत्री अपने भक्तों की रक्षा करती हैं और उनकी सभी इच्छाओं को पूरा करती हैं। मां शैलपुत्री साधक के मूलाधार चक्र को जागृत करने में भी सहायक होती हैं। मूलाधार चक्र हमारे शरीर का वह ऊर्जा केंद्र है, जो हमें स्थिरता, सुरक्षा और मानसिक शांति प्रदान करता है।

    मां शैलपुत्री की पूजा विधि

    पूजा से पहले स्नान करके शुद्ध और स्वच्छ कपड़े पहनें। चौकी पर गंगाजल छिडक़कर उसे शुद्ध करें और फिर उस पर मां शैलपुत्री की मूर्ति, तस्वीर या फोटो स्थापित करें। परिवार के साथ विधिपूर्वक कलश की स्थापना करें। यह कार्य नवरात्रि पूजा का प्रमुख हिस्सा होता है। कलश स्थापना के बाद, मां शैलपुत्री का ध्यान मंत्र ॐ देवी शैलपुत्र्यै नम:, वंदे वाञ्छितलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्, वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्, या देवी सर्वभूतेषु मां शैलपुत्री रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: जप करें। नवरात्रि व्रत का संकल्प लें। सफेद, पीले या लाल फूल मां शैलपुत्री को अर्पित करें। साथ ही, कुमकुम का तिलक भी करें। धूप और दीपक जलाएं। पांच देसी घी के दीपक भी जलाएं ताकि सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो। मां शैलपुत्री की आरती उतारें, क्योंकि इससे उनकी कृपा प्राप्त होती है। पूजा के बाद, मां शैलपुत्री की कथा, दुर्गा चालिसा, दुर्गा स्तुति या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। इससे मां की आशीर्वाद प्राप्ति होती है। परिवार के साथ जय माता दी के जयकारे लगाएं। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। मां शैलपुत्री को भोग भी अर्पित करें। मां शैलपुत्री को सफेद रंग के फूल अर्पित करें। सफेद मिठाई, जैसे खीर, खाजा, या सफेद लड्डू अर्पित करें। दूध और दही भी अर्पण कर सकते हैं।

    यह है पूजन का लाभ

    मान्यता है कि मां शैलपुत्री की पूजा से विशेष रूप से कुंवारी कन्याओं को अच्छे वर की प्राप्ति होती है। घर में धन-धान्य की कमी नहीं रहती है और समृद्धि का वास होता है। यह पूजा घर में सुख-शांति, प्रेम और समृद्धि लाती है। श्रद्धापूर्वक पूजा करने से परिवार में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और जीवन में स्थिरता प्राप्त होती है।

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