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    6 गैर-सरकारी बैंकों का हुआ था राष्ट्रीयकरण.. जानें क्या आया था बदलाव

    आज के दिन यानि 15 अप्रैल 1980 को भारत में छह गैर-सरकारी बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया था। यह कदम भारतीय बैंकिंग इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ। इन छह बैंकों में आंध्रा बैंक, कॉर्पोरेशन बैंक, न्यू बैंक ऑफ इंडिया, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, पंजाब एंड सिंध बैंक और विजया बैंक शामिल थे। सरकार का यह निर्णय बैंकिंग क्षेत्र को और अधिक सामाजिक रूप से उन्मुख बनाने और ग्रामीण क्षेत्रों तक इसकी पहुंच सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लिया गया था। इससे पहले 1969 में भी 14 प्रमुख निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया जा चुका था। 1980 में हुए इस दूसरे चरण के राष्ट्रीयकरण ने बैंकिंग क्षेत्र में सरकारी नियंत्रण को और मजबूत किया।

    ऋण देने पर ध्यान केंद्रित किया

    इन बैंकों के राष्ट्रीयकरण के बाद, सरकार ने कृषि, लघु उद्योग और अन्य प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को ऋण प्रदान करने पर अधिक ध्यान केंद्रित किया। इसका उद्देश्य आर्थिक विकास को गति देना और समाज के कमजोर वर्गों को वित्तीय सहायता प्रदान करना था। इस नीति के परिणामस्वरूप, देश के कोने-कोने में बैंक शाखाओं का विस्तार हुआ और बैंकिंग सेवाएं आम लोगों तक पहुंचने लगीं। यह कदम भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में एक महत्वपूर्ण योगदानकर्ता साबित हुआ।

    पीएम जन-धन योजना से बदले हालात

    प्रधानमंत्री जन धन योजना को भारत सरकार ने 15 अगस्त, 2014 को शुरू करने का ऐलान किया था। एक राष्ट्रीय वित्तीय समावेशन मिशन का उद्देश्य देश के सभी परिवारों को, विशेष रूप से बैंकिंग सेवाओं से वंचित और कमजोर वर्गों को, किफायती तरीके से बैंकिंग/बचत और जमा खाते, प्रेषण, ऋण, बीमा और पेंशन जैसी वित्तीय सेवाओं तक पहुंच प्रदान करना है। इसे आधिकारिक तौर पर 28 अगस्त, 2014 को पूरे देश में लॉन्च किया गया था। इसका उद्देश्य देश के सभी परिवारों, विशेष रूप से बैंकिंग सेवाओं से वंचित और कमजोर वर्गों को वित्तीय सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करना है। इस योजना का नारा मेरा खाता भाग्य विधाता रहा। इसमें खाते बिना किसी न्यूनतम शेष राशि के खोले गए। खाताधारकों को मुफ्त रुपे डेबिट कार्ड मिला। नए खातों के लिए 1 और 2 लाख का मुफ्त दुर्घटना बीमा कवर प्रदान किया गया। संतोषजनक खाता संचालन के छह महीने बाद पात्र खाताधारक 10,000 तक की ओवरड्राफ्ट सुविधा का लाभ दिया गया। 15 अगस्त, 2014 और 31 जनवरी, 2015 के बीच खाते खोलने वाले पात्र खाताधारकों के लिए 30,000 का जीवन बीमा कवर उपलब्ध कराया गया। इस योजना का सबसे बड़ा लाभ प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के तहत सरकारी लाभ सीधे इन खातों में हस्तांतरित किया जाना रहा। इस योजना ने बैंकिंग पैठ बढ़ाने और पूरे देश में वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने में सफलता हासिल की है। लाखों खाते खोले गए हैं, जिससे आबादी का एक बड़ा हिस्सा औपचारिक बैंकिंग प्रणाली में शामिल हुआ है। जन धन योजना सभी वयस्कों के लिए वित्तीय समावेशन सुनिश्चित करने के लक्ष्य के साथ एक सक्रिय योजना बन गई है।

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