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    अमेरिका-रूस सहित 55 देश होंगे शामिल, भारत करेगा ‘मिलन’ अभ्यास की मेजबानी

    भारत, जो लगातार हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में चीनी युद्धपोतों और जासूसी जहाजों की गतिविधियों पर कड़ी नजर रख रहा है, अब विशाखापत्तनम में 55 देशों की नौसेनाओं के साथ एक विशाल शक्ति प्रदर्शन और सहयोग के लिए तैयार है। भारत 15 से 25 फरवरी तक ‘मिलन’ समुद्री अभ्यास (MILAN Naval Exercise) और अंतर्राष्ट्रीय फ्लीट रिव्यू (IFR) की मेजबानी करेगा।

    बाहरी शक्तियों की बढ़ती उपस्थिति पर नजर

    भारतीय नौसेना उपप्रमुख वाइस एडमिरल संजय वत्सायन ने इस आयोजन की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने हिंद महासागर में बाहरी शक्तियों की लगातार बढ़ती उपस्थिति पर चिंता व्यक्त की। वाइस एडमिरल वत्सायन ने बताया, “हिंद महासागर में किसी भी समय कम से कम 40 युद्धपोत सक्रिय रहते हैं और यह संख्या बढ़कर 50 तक जा सकती है।” उन्होंने पुष्टि की कि भारतीय नौसेना इन सभी गतिविधियों पर कड़ी नजर बनाए हुए है और हर एक गतिविधि से वाकिफ है।

    ‘क्वाड’ साझेदार भी इस अभ्यास में हिस्सा लेंगे

    ‘मिलन’ अभ्यास एक दशक में सबसे बड़े नौसैनिक आयोजनों में से एक होगा। वाइस एडमिरल वत्सायन ने पुष्टि की कि इस अभ्यास में अमेरिका और रूस दोनों की नौसेनाएं अपने जहाज भेजेंगी। अमेरिका और रूस के अलावा, भारत के ‘क्वाड’ साझेदार जापान और ऑस्ट्रेलिया भी इस बहुराष्ट्रीय अभ्यास में हिस्सा लेंगे। भारतीय नौसेना 10 दिनों तक चलने वाले इस आयोजन के दौरान ‘मिलन’ अभ्यास, अंतर्राष्ट्रीय फ्लीट रिव्यू (IFR) और इंडियन ओशन नेवल सिम्पोजियम (IONS) की मेजबानी करेगी। भारत ने इस महत्वपूर्ण आयोजन के लिए चीन, पाकिस्तान और तुर्किये को आमंत्रित नहीं किया है।

    ‘ऑपरेशन सिंदूर’ है जारी

    नौसेना उपप्रमुख ने यह भी बताया कि भारत ने मई में पाकिस्तान के खिलाफ जो ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया था, वह अभी भी जारी है। उन्होंने जोर देकर कहा. “विदेशी देशों के साथ हमारे चल रहे अभ्यासों का संदेश यह है कि हमारी योजनाएं बिना किसी बाधा के पूरी हो रही हैं। हम ऑपरेशन सिंदूर के तहत वर्तमान में और भविष्य में भी तैयार और तैनात हैं।”

    चीन की हिंद महासागर में बढ़ती ताकत

    वाइस एडमिरल वत्सायन ने क्षेत्र में चीन की बढ़ती समुद्री शक्ति पर भी ध्यान दिलाया। उन्होंने बताया कि दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना वाला चीन (370 से अधिक युद्धपोतों और पनडुब्बियों के साथ) लगातार हिंद महासागर में अपनी ‘अंडरवाटर डोमेन अवेयरनेस’ को मजबूत कर रहा है। इसके लिए वह सर्वेक्षण और अनुसंधान ‘जासूसी जहाजों’ को लगभग स्थायी रूप से तैनात कर रहा है, जो नेविगेशन और पनडुब्बी अभियानों के लिए महत्वपूर्ण समुद्री डेटा एकत्र करते हैं।

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