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    अरावली को नष्ट करने में जुटी 4 इंजन की सरकार, सचिन पायलट का बड़ा बयान

    कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने अरावली पर्वतमाला के संरक्षण को लेकर केंद्र और चार राज्यों (गुजरात, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली) की भाजपा सरकारों पर तीखा हमला बोला है। जयपुर में एनएसयूआई (NSUI) के ‘अरावली बचाओ-भविष्य बचाओ’ पैदल मार्च को संबोधित करते हुए पायलट ने कहा कि सरकार की नीतियां पर्यावरण के बजाय खनन माफियाओं को लाभ पहुँचाने वाली हैं।

    ​पायलट के संबोधन के मुख्य बिंदु:

    ​’चार इंजन’ की सरकार पर आरोप

    ​सचिन पायलट ने तंज कसते हुए कहा कि यह केवल डबल इंजन की सरकार नहीं है, बल्कि “चार इंजन” (केंद्र और चार संबंधित राज्यों की सरकारें) मिलकर अरावली को नष्ट करने में जुटे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की मंशा अरावली को बचाने की नहीं, बल्कि इसे खनन के लिए माफियाओं के हवाले करने की है।

    ​100 मीटर की विवादित परिभाषा

    ​पायलट ने अरावली की नई परिभाषा पर गंभीर सवाल उठाए, जिसे हाल ही में केंद्र सरकार ने कोर्ट में पेश किया है। उनके अनुसार:

    • परिभाषा का खतरा: नई परिभाषा के तहत केवल 100 मीटर से ऊंचे पहाड़ों को ही ‘अरावली’ का हिस्सा माना जाएगा।
    • पहाड़ों का आंकड़ा: भारतीय वन सर्वेक्षण (FSI) के आंकड़ों का हवाला देते हुए पायलट ने बताया कि अरावली में 1,18,000 पहाड़ 100 मीटर से कम ऊंचाई के हैं, जबकि केवल 1,048 पहाड़ ही 100 मीटर से ऊंचे हैं।
    • असुरक्षित क्षेत्र: इस परिभाषा से अरावली का लगभग 90% से 95% हिस्सा कानूनी संरक्षण से बाहर हो जाएगा, जिससे खनन माफियाओं को खुली छूट मिल जाएगी।

    ​रेगिस्तान का विस्तार और सुरक्षा कवच

    ​पायलट ने चेतावनी दी कि यदि अरावली पर्वतमाला को नष्ट किया गया, तो थार रेगिस्तान का विस्तार दिल्ली तक हो जाएगा। उन्होंने अरावली को उत्तर भारत का “सुरक्षा कवच” बताते हुए कहा कि यह वायु प्रदूषण रोकने, भूजल स्तर बनाए रखने और जैव विविधता के लिए अनिवार्य है। उन्होंने कोर्ट से इस परिभाषा की समीक्षा करने और सरकार से सुप्रीम कोर्ट में नई अर्जी दाखिल करने की मांग की।

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