छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ के जंगलों में सुरक्षा बलों के साथ हुई भीषण मुठभेड़ में सीपीआई (माओवादी) के महासचिव नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजू सहित 27 खूंखार माओवादी मारे गए। इस मुठभेड़ को नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में एक ऐतिहासिक और बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। आईजी पी सुंदरराज ने बताया कि सुरक्षा बलों ने बहुत ही चतुराई से इस ऑपरेशन को अंजाम दिया, जिसके परिणामस्वरूप नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजू की मौत हो गई। यह सुरक्षा बलों के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। क्षेत्र में शांति और सामान्य स्थिति बहाल होगी और देश के लोगों को उम्मीद है कि नक्सलवाद का खात्मा होगा।
कौन था बसवराजू?
करीब 70 साल का नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजू कई अन्य नामों जैसे केशव, नरसिम्हा, गजानन और बसवा राजू से भी जाना जाता था। वह श्रीकाकुलम, आंध्र प्रदेश का रहने वाला था और नवंबर 2018 से सीपीआई (माओवादी) संगठन का महासचिव था। वह पिछले 35 सालों से माओवादी संगठन की केंद्रीय कमेटी का सदस्य था। उस पर 1.5 करोड़ रुपये का इनाम घोषित था। बसवराजू एक बीटेक डिग्री धारक था और इंजीनियरिंग में शिक्षित होने के कारण नक्सलियों के लिए बम बनाने और गुरिल्ला युद्ध की रणनीति तैयार करने में माहिर था। वह संगठन के लिए विस्फोटक और हथियार डिजाइन करने में विशेषज्ञ था और आक्रामक हमलों की रणनीति बनाने के लिए जाना जाता था।
माओवादियों के लिए बड़ा झटका
सुरक्षा विशेषज्ञों और अधिकारियों का मानना है कि बसवराजू की मौत माओवादी संगठन के लिए एक बड़ा और अपूरणीय क्षति है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इसे तीन दशकों में नक्सल विरोधी अभियानों में पहली बार महासचिव स्तर के किसी माओवादी नेता को मार गिराने की घटना बताया है। उसकी मौत से संगठन का नेतृत्व कमजोर होगा और माओवादी आंदोलन पर मनोवैज्ञानिक रूप से भी बड़ा असर पड़ेगा। इस मुठभेड़ में सुरक्षा बलों को बड़ी मात्रा में हथियार, गोला-बारूद और इलेक्ट्रॉनिक सामग्री बरामद हुई है। हालांकि, इस ऑपरेशन में एक जवान भी शहीद हो गया और कुछ अन्य घायल हुए हैं। बसवराजू के मारे जाने से यह उम्मीद की जा रही है कि नक्सलवाद के खिलाफ अभियान को और गति मिलेगी और यह इस खतरे को जड़ से खत्म करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।