दिल्ली में वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति के बीच, दिल्ली हाई कोर्ट ने एयर प्यूरीफायर पर लगने वाले 18% GST को कम करने की मांग वाली याचिका पर केंद्र सरकार से 10 दिनों के भीतर विस्तृत जवाब मांगा है।
शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए केंद्र से पूछा कि आम आदमी की पहुंच के लिए इन उपकरणों पर टैक्स की दरें कम क्यों नहीं की जा सकतीं।
- याचिका की मांग: अधिवक्ता कपिल मदान द्वारा दायर जनहित याचिका (PIL) में एयर प्यूरीफायर को ‘मेडिकल डिवाइस’ (चिकित्सा उपकरण) की श्रेणी में शामिल करने का आग्रह किया गया है। यदि इसे मेडिकल डिवाइस माना जाता है, तो इस पर GST की दर 18% से घटकर 5% हो जाएगी।
- कोर्ट की टिप्पणी: न्यायमूर्ति विकास महाजन और न्यायमूर्ति विनोद कुमार की वेकेशन बेंच ने कहा कि दिल्ली में प्रदूषण एक “हेल्थ इमरजेंसी” जैसा है। कोर्ट ने सवाल किया, “जब आप नागरिकों को स्वच्छ हवा नहीं दे पा रहे हैं, तो कम से कम एयर प्यूरीफायर को सस्ता तो बना सकते हैं?” बेंच ने चिंता जताई कि 10,000 से 60,000 रुपये तक की कीमत वाले ये उपकरण आम आदमी की पहुंच से बाहर हैं।
- केंद्र का पक्ष: सरकार की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एन. वेंकटरमन ने कहा कि GST की दरें तय करना GST काउंसिल का काम है और इसमें सभी राज्यों की सहमति जरूरी होती है। उन्होंने यह भी दलील दी कि बिना उचित प्रक्रिया के छूट देने से अन्य उत्पादों के लिए भी ऐसी ही मांगें उठ सकती हैं, जो एक नई मुश्किल (Pandora’s Box) पैदा कर सकता है।
- अगली सुनवाई: केंद्र सरकार को 10 दिन में अपना काउंटर-एफिडेविट (जवाबी हलफनामा) दाखिल करना है। मामले की अगली सुनवाई 9 जनवरी 2026 को तय की गई है।
याचिकाकर्ता का मुख्य तर्क यह है कि मौजूदा “इमरजेंसी” संकट में एयर प्यूरीफायर अब विलासिता (Luxury) की वस्तु नहीं बल्कि जीवन रक्षक उपकरण बन गए हैं, इसलिए इन्हें ऊंचे टैक्स स्लैब में रखना असंवैधानिक और अनुचित है।


