इस साल समय से पहले शुरू हुए मानसून ने पूरे उत्तर भारत में भारी तबाही मचा रखी है। विशेष रूप से पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड सबसे ज़्यादा प्रभावित हुए हैं, जहाँ बीते कुछ दिनों में भारी बारिश, भूस्खलन और अचानक आई बाढ़ के कारण मरने वालों की संख्या 100 के पार पहुँच गई है। आपदा प्रबंधन अधिकारियों ने बताया कि कई इलाकों में बचाव कार्य अभी भी जारी हैं और मलबे में दबे लोगों को निकालने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे यह आँकड़ा और बढ़ सकता है।
हिमाचल प्रदेश में शिमला, कुल्लू और मंडी जैसे जिले सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। यहाँ सड़कें बह गई हैं, कई पुल ध्वस्त हो गए हैं, और सैकड़ों गाँव संपर्क से कट गए हैं। मुख्यमंत्री ने स्थिति को ‘अभूतपूर्व आपदा’ बताते हुए केंद्र सरकार से तत्काल सहायता की अपील की है। उत्तराखंड में भी हालात गंभीर हैं। बद्रीनाथ और केदारनाथ राजमार्ग कई स्थानों पर भूस्खलन के कारण बंद हो गए हैं, जिससे चारधाम यात्रा पर आए हज़ारों तीर्थयात्री फँसे हुए हैं। सेना और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की टीमें लगातार बचाव अभियान चला रही हैं, लेकिन लगातार बारिश और दुर्गम भूभाग चुनौतियों को बढ़ा रहा है।
उत्तर प्रदेश, बिहार और असम जैसे मैदानी राज्यों में भी नदियाँ उफान पर हैं, जिससे निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा पैदा हो गया है। गंगा, यमुना, कोसी और ब्रह्मपुत्र जैसी प्रमुख नदियाँ खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। कई शहरी और ग्रामीण इलाकों में जलभराव की स्थिति है, जिससे सामान्य जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। मौसम विभाग ने अगले 24 घंटों में इन क्षेत्रों में और अधिक बारिश की चेतावनी जारी की है, जिससे स्थिति के और बिगड़ने की आशंका है। सरकार ने सभी प्रभावित राज्यों को हाई अलर्ट पर रहने और नागरिकों से सुरक्षित स्थानों पर रहने की अपील की है।


