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    बचपन से ही प्रकृति के प्रति गहरा लगाव; IAS सुप्रिया साहू ऐसे बनीं ‘चैंपियंस ऑफ द अर्थ’

    भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) की अधिकारी सुप्रिया साहू को संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) के सर्वोच्च पर्यावरण सम्मान ‘चैंपियंस ऑफ द अर्थ 2025’ से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार पाना न सिर्फ उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के प्रति भारत के प्रयासों को वैश्विक मंच पर एक खास पहचान दिलाता है।

    कौन हैं सुप्रिया साहू?

    सुप्रिया साहू 1991 बैच की एक अनुभवी आईएएस अधिकारी हैं। वर्तमान में, वह तमिलनाडु सरकार में पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और वन विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव के पद पर कार्यरत हैं। बचपन से ही प्रकृति के प्रति उनके गहरे लगाव ने उन्हें अपने प्रशासनिक कार्यकाल के दौरान पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देने के लिए प्रेरित किया। लगभग तीन दशकों की अपनी सेवा में, उन्होंने स्वास्थ्य, परिवार कल्याण और सूचना-प्रसारण जैसे कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में नेतृत्व किया है, लेकिन पर्यावरण के लिए उनका काम सबसे अधिक सराहनीय रहा है।

    पर्यावरण संरक्षण में उनका अतुलनीय योगदान

    सुप्रिया साहू को यह प्रतिष्ठित पुरस्कार ‘इंस्पिरेशन एंड एक्शन’ (प्रेरणा और कार्रवाई) श्रेणी में उनके अभूतपूर्व कार्यों के लिए दिया गया है। उनके कुछ प्रमुख कार्य और पहलें निम्नलिखित हैं:

    • ‘ऑपरेशन ब्लू माउंटेन’: नीलगिरी के पहाड़ों पर सिंगल-यूज प्लास्टिक को खत्म करने और संवेदनशील पहाड़ी पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) को बहाल करने के लिए उन्होंने इस बड़े अभियान का नेतृत्व किया। यह पहल समुदाय की भागीदारी से एक सफल शासन मॉडल बनी।
    • हरित क्रांति: उनके मार्गदर्शन में बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण किया गया, जिसमें नीलगिरी में 42,000 से अधिक पेड़ लगाने का गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड भी शामिल है। तमिलनाडु में 100 मिलियन से अधिक पेड़ लगाए गए हैं।
    • हरित रोज़गार: यूएनईपी के अनुसार, उनके प्रयासों से राज्य में लाखों ‘ग्रीन जॉब्स’ (पर्यावरण से जुड़े रोज़गार) पैदा हुए हैं।
    • जलवायु अनुकूलन: उन्होंने तमिलनाडु में ‘कूल रूफ प्रोजेक्ट’ जैसी पहल शुरू की, जिसमें सरकारी इमारतों और आवासों में ऐसी छतें बनाई गईं जो गर्मी को कम करती हैं। यह मॉडल अब दुनिया में टिकाऊ शीतलन (Sustainable Cooling) का एक उत्कृष्ट उदाहरण बन गया है।
    • वन्यजीव और आर्द्रभूमि संरक्षण: सुप्रिया साहू ने मैंग्रोव वनक्षेत्र का विस्तार किया, वेटलैंड्स (आर्द्रभूमि) को पुनर्जीवित किया और संकटग्रस्त प्रजातियों के संरक्षण के लिए फंड भी स्थापित किए हैं।

    वैश्विक मंच पर भारत का बढ़ता कद

    केन्या की राजधानी नैरोबी में आयोजित संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा (UNEA-7) के दौरान सुप्रिया साहू को यह सम्मान प्रदान किया गया। उनके नेतृत्व और दूरदर्शिता की यूएनईपी की कार्यकारी निदेशक इंगर एंडरसन ने भी सराहना की है, और उनके दृष्टिकोण को जलवायु परिवर्तन से जूझ रहे शहरों और राज्यों के लिए एक आदर्श बताया है।

    सुप्रिया साहू की यह सफलता दर्शाती है कि दृढ़ संकल्प और नवाचार के साथ एक व्यक्ति किस तरह बड़े पैमाने पर सकारात्मक बदलाव ला सकता है और भारत की बढ़ती हुई जलवायु नेतृत्व क्षमता को विश्व स्तर पर स्थापित कर सकता है।

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