Wednesday, July 3, 2024
HomeHindi Newsरायबरेली से इसलिए लड़ रहे राहुल गांधी.. प्रियंका ने यह लिया था...

रायबरेली से इसलिए लड़ रहे राहुल गांधी.. प्रियंका ने यह लिया था स्टैंड

आखिरकार कांग्रेस नेता राहुल गांधी अपने परिवार की विरासत रायबरेली से लडऩे के लिए तैयार हो गए। कांग्रेस ने यह डिसीजन तब लिया, जब वायनाड में वोटिंग खत्म होने को थी। ऐसे में सवाल यह खड़ा हो रहा है कि क्या राहुल गांधी अनमने ढंग से रायबरेली से लड़ रहे हैं। अगर वे दोनों सीटों पर जीत गए, तो किस सीट को छोड़ेंगे। राहुल वायनाड से दूसरी बार लड़ रहे हैं, इसलिए वे नहीं चाहेंगे कि केरल की सीट छोड़ी जाए। ऐसे में अगर रायबरेली की सीट छोड़ेंगे तो भी मुश्किल होगी। वैसे भी केरल में 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं। यही वजह है कि वायनाड सीट छोडऩा कांग्रेस के लिए ठीक नहीं होगा। ऐसे में रायबरेली सीट छोडऩे पर प्रियंका को यहां से उतारा तो भाजपा पूरा जोर लगा देगी। बहरहाल सूत्र बताते हैं कि प्रियंका रायबरेली या अमेठी से चुनाव नहीं लडऩा चाहती थीं। इसलिए राहुल को मजबूरन रायबरेली से मां सोनिया की विरासत को संभालने के लिए आगे आना पड़ा।

क्या पार्टी ने डाला था दवाब?

राहुल गांधी के रायबरेली सीट से लडऩे की कई वजहें हैं। दरअसल पार्टी नहीं चाहती थी कि यूपी जैसे बड़े राज्य को यूं ही भाजपा के लिए छोड़ दिया जाए। यही वजह है कि राहुल गांधी को मैदान में उतारकर भाजपा और जनता को संदेश दिया गया है कि कांग्रेस अपनी विरासत और सीट किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ेगी। इसके अलावा राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी राहुल और प्रियंका पर दबाव बनाया था, लेकिन प्रियंका चुनाव लडऩे के लिए सहमत नहीं हुईं। इसके बाद अनिच्छुक राहुल गांधी को भी चुनाव लडऩे के लिए राजी होना पड़ा। इस तरह दो माह से चल रही कश्मकश खत्म हुई और गांधी परिवार एक बार फिर रायबरेली से मैदान में है।

1952 से जीत रही कांग्रेस

अमेठी और रायबरेली को गांधी परिवार का गढ़ माना जाता था। 2014 में मोदी लहर के बीच भी पार्टी ने ये दोनों गढ़ संभाल कर रहे थे। लेकिन 2019 में परिवर्तन की आंधी में अमेठी का गढ़ केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने ढहा दिया। अब वे दूसरी बार अमेठी से चुनाव मैदान में हैं, लेकिन यहां से गांधी परिवार का कोई सदस्य चुनाव मैदान में नहीं है। वहीं बात करें रायबरेली की तो यहां से फिरोज गांधी ने 1952 में कांग्रेस की तरफ से पहला चुनाव लड़ा था। इसके बाद संजय गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती रहीं। 2019 में उप्र से एकमात्र सीट रायबरेली से कांग्रेस को जीत मिली थी। भाजपा इस बार प्रयास करेगी कि पहली बार रायबरेली का किला वह ढहा दे। इसके लिए पीएम मोदी से लेकर अमित शाह और सीएम योगी रायबरेली को टारगेट करेंगे।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments