बालगोपाल चन्द्रशेखर उभरते उद्यमियों और महत्वाकांक्षी सिविल सेवकों के लिए एक प्रेरणा हैं। भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी का प्रतिष्ठित पद हासिल करने के बावजूद, अपने माता-पिता की इच्छा पर, चंद्रशेखर ने 30 वर्ष की कम उम्र में अपनी आईएएस की मौकरी छोड़ने और अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने का साहसिक निर्णय लिया।बालगोपाल चन्द्रशेखर ने व्यवसाय के क्षेत्र में भारत की सबसे बड़ी ब्लड बैग निर्माण कंपनी स्थापित करने की उपलब्धि हासिल की।
कौन है बालगोपाल चन्द्रशेखर ?
केरल के रहने वाले बालगोपाल ने 1976 में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में सफलता हासिल की। हालांकि उन्होंने अर्थशास्त्र में डिग्री हासिल की थी और पीएचडी कर रहे थे, लेकिन मणिपुर कैडर के 1997 बैच के आईएएस अधिकारी ने 1983 में प्रतिष्ठित सरकारी पद से इस्तीफा देने का फैसला किया। इसके बाद अपने भाई सी पद्मकुमार के साथ, उन्होंने बायोमेडिकल उपकरणों के निर्माण पर केंद्रित कंपनी पेनपोल की स्थापना करके उद्यमशीलता क्षेत्र में कदम रखा।
ऐसा आया सफर में मोड़
चंद्रशेखर का महत्वपूर्ण क्षण तिरुवनंतपुरम में श्री चित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी में अनुसंधान एवं विकास सुविधा की यात्रा के दौरान आया, जहां उनका सामना ऐसे वैज्ञानिकों से हुआ जिन्होंने सफलतापूर्वक स्वदेशी रक्त बैग विकसित किए थे। इस खोज से प्रेरित होकर, पेनपोल ने 1987 में रक्त बैग का उत्पादन शुरू किया, और इस उद्यम में 1 करोड़ रुपये का निवेश किया।
उनके रणनीतिक कौशल ने कंपनी को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया, जब 1999 में, उन्होंने इस क्षेत्र में वैश्विक नेता, जापानी कंपनी टेरुमो के साथ एक संयुक्त उद्यम स्थापित किया। इस सहयोग से टेरुमो पेनपोल का गठन हुआ, जो भारत की सबसे बड़ी ब्लड बैग निर्माता के रूप में उभरी।
एक महत्वपूर्ण कदम में, चंद्रशेखर ने 2012 में कंपनी में अपनी हिस्सेदारी अपने जापानी साझेदार को बेच दी, और 26 साल की एक उल्लेखनीय उद्यमशीलता यात्रा का समापन किया। तब से, उन्होंने फेडरल बैंक में स्वतंत्र निदेशक और बोर्ड के अध्यक्ष जैसी भूमिकाएँ निभाई हैं, इस पद पर वे नवंबर 2021 से कार्यरत हैं।