Wednesday, July 3, 2024
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पिता का मिला साथ तो बेटी ने हासिल की सफलता,दिलचस्प है अंजली के AR इंस्पेक्टर बनने की कहानी

“लोग कहते थे आज के समय में सरकारी नौकरी हासिल करना इतना आसान नहीं हैं,बेटियों की पढ़ाई पर खर्च करके कुछ नहीं मिलेगा, ऐसे ही सभी को सरकारी नौकरी नहीं मिल जाती है” शायद कोई और होता तो लोगो के इन तानो को सुनकर पीछे हट जाता,लेकिन मध्य प्रदेश के अशोकनगर से ताल्लुक रखने वाले केआर शर्मा के लिए उनकी बेटियों से बढ़कर दूसरी कोई पूँजी नहीं थी।ऐसे में उन्होंने अपनी बेटियों को कामयाब बनाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। वहीँ पिता का साथ मिला तो बेटियां भी सफलता की सीढ़ी चढ़ गई।

पिता के हौसले से बेटी ने हासिल की सफलता

ये कहानी है इसी पिता की एक बेटी अंजली शर्मा की जिसे लोगो ने सरकारी नौकरी के लिए ताने दिए.लेकिन जब बेटी को पिता का भरोसा मिला तो लोगो की परवाह किये बिना ही उसने न सिर्फ सरकारी नौकरी हासिल करने में बाजी मारी बल्कि मध्य प्रदेश सरकार में अस्सिटेंट रेवेन्यू इंस्पेक्टर का पद हासिल कर पूरे परिवार का मान भी बढ़ाया।लेकिन मध्य प्रदेश के छोटे से शहर अशोकनगर से अस्सिटेंट रेवेन्यू इंस्पेक्टर के पद तक पहुंचना का ये सफर अंजली के लिए जरा भी आसान नहीं था।

कौन है अंजली शर्मा ?

अंजली शर्मा मध्य प्रदेश के अशोकनगर के एक बेहद ही सामान्य परिवार से ताल्लुक रखती हैं.उनके पिता केआर शर्मा कॉपरेटिव बैंक में मैनेजर हैं। वहीँ माँ एक ग्रहणी हैं।अंजली की चार बहने और एक भाई भी है।ख़ास बात यह है कि अंजली की तीन और बहनो भी प्रतिष्ठित पदों पर हैं। वहीँ अंजली बचपन से ही पढ़ाई में होनहार हैं हर क्लास में टॉप करती रही हैं। उनकी स्कूल और कॉलेज की शिक्षा अशोकनगर से ही हुई है।

स्कूल की पढ़ाई के बाद बनना चाहती थी बैंकर

अंजली मैथ्स में बहुत होशियार थी ऐसे में वे स्कूल के बाद सीधे बैंकर बनना चाहती थी। लेकिन तब परीक्षाओ के पैटर्न में बदलाव के चलते अंजली बैंकर की परीक्षा नहीं दे पाई। यही नहीं इसके बाद अंजली ने बीएससी की पढ़ाई शुरू की लेकिन शायद तब किस्मत को कुछ और ही मजूर था और अंजली को ख़राब स्वास्थ के चलते बीएससी की पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ गई।

दोबारा शुरू की पढाई और हासिल की डिग्रियां

अंजली के लिए स्कूल के बाद शुरूआती दिन मुश्किल भरे बीते। ख़राब स्वास्थ के चलते उन्हें बीएससी की पढ़ाई छोड़नी पड़ गई। किसी टॉपर के लिए इस तरह बीच में पढाई छोड़ देना आसान नहीं था। लेकिन अंजली अपने लक्ष्य को तय कर चुकी थी ऐसे में उनके हौसले नहीं टूटे। अंजली ने एक बार फिर से पढाई शुरू की और बीए की डिग्री हासिल की। इसके साथ ही अंजली ने डीएलएड भी किया है।

ग्रैजुएशन के दौरान की सरकारी नौकरी की तैयारी

अंजली वैसे तो स्कूल के बाद से ही बैंकर बनना चाहती थी लेकिन परीक्षा में पैटर्न की वजह से वो एक्जाम नहीं दे पाई। इसके बाद अंजली ने कॉम्पटीटिव परीक्षाओ में शामिल होने का फैसला किया। अंजली बताती हैं कि यह तब कि बात है जब लोगो को सरकारी नौकरी हासिल करने में एड़ी चोंटी का जोर लगाना पड़ता था। ऐसे में लोग भी उन्हें ताने देने से नहीं चूकते थे। लोग कहते थे सरकारी नौकरी ऐसे ही नहीं मिल जाती है।लेकिन अंजली ने कहा कि उनके माता-पिता ने कभी भी लोगो की बात नहीं सुनी और मुझे पढ़ने और हर फैसले लेने की पूरी आजादी दी। वहीँ जैसे ही अंजली का ग्रैजुएशन उन्हें एक बड़ी अपॉर्चुनटी मिल गई।

पहले ही प्रयास में बन गई अस्सिटेंट रेवेन्यू इंस्पेक्टर

अंजली ने साल 2016 में बीए की डिग्री हासिल की लेकिन इस दौरान ही उन्होंने कम्पटीटिव परीक्षाओ की तैयारी शुरू कर दी थी। यहाँ तक कि अंजली डिग्री हासिल करने से पहले ही खुदको तैयार करने के लिए कई परीक्षाओ को देती थी। इस तरह अंजली ने कड़ी मेहनत और पूरी लगन के साथ परीक्षा दी और साल 2016 में अपने पहले ही प्रयास में अस्सिटेंट रेवेन्यू इंस्पेक्टर का पद हासिल कर लिया। फ़िलहाल अंजली भोपाल में पदस्थ हैं।

बड़े लक्ष्य को हासिल करना है बाकी

अंजली ने भले ही अपने पहले ही प्रयास में अस्सिटेंट रेवेन्यू इंस्पेक्टर जैसे प्रतिष्ठित पद को हासिल कर लिया है। लेकिन अंजली की कामयाबी की कहानी यही नहीं रुकने वाली है। अंजली का कहना है कि वो और भी बड़े लक्ष्य की तैयारी में जुटी हुई हैं। अंजली कहती हैं कि जिंदगी का ठहराव सिर्फ आखिरी वक्त पर ही होना चाहिए,लेकिन जबतक सांसे हैं जिंदगी में आगे बढ़ने की रफ़्तार कभी भी नहीं थमनी चाहिए।

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