पड़ोसी देश चीन ने जब से भारत से पंगा लिया है, उसे नुकसान ही उठाना पड़ा है। भारत से तनातनी का खामियाजा अब चीन को उठाना पड़ रहा है। दरअसल भारत से चीन की तनातनी डोकलाम से शुरू हुई थी। गलवान में 2020 में खूनी संघर्ष के बाद भारत ने चीन को सबक सिखाने की ठान ली थी। प्रधानमंत्री मोदी ने देश में मैन्यूफैक्चरिंग बढ़ाने और आयात पर निर्भरता घटाने के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान शुरू किया था। अब इसका असर दिखने लगा है। इस साल के पहले चार महीनों में ही चीन से आयात में कमी आई है। आंकड़ों की मानें तो जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल में चीन से आयात में गिराई आई है।
5 वर्षों में बदलेंगे हालात
हालांकि अभी काफी कुछ किया जाना बाकी है, क्योंकि चीन का पलड़ा अभी भारी है। चीन से हम काफी सारा सामान बुलाते हैं, जबकि बहुत कम निर्यात करते हैं। हमारे कई सेक्टर अभी चीन पर निर्भर हैं। हालांकि भारत ने सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में कदम आगे बढ़ा दिए हैं, जिससे उम्मीद की जा रही है कि अगले 5 वर्षों में भारत चीन को पछाडऩे का प्रयास करेगा।
ऐसे आई आयात में गिरावट
आंकड़ों की मानें तो जनवरी में चीन से आयात 8.96 अरब डॉलर का हुआ था। फरवरी में यह गिरकर 8.09 रह गया। मार्च में और गिरावट आई और यह 7.75 अरब डालर रह गया। हालांकि अप्रैल में यह आंकड़ा 7.79 अरब डालर रहा। जनवरी में भारत का दुनियाभर से कुल आयात 53.35 अरब डालर रहा, जिसमें चीन की हिस्सेदारी 16.79 फीसदी है। फरवरी में भारत का कुल आयात 60.11 अरब डालर पर पहुंच गया, लेकिन चीन की हिस्सेदारी 13.46 फीसदी ही रही। मार्च में भारत का चीन से आयात 13.53 और अप्रैल में 14.4 प्रतिशत रहा। भारत अब दुनिया के अन्य देशों से आयात बढ़ा रहा है तो देश में भी मैन्यूफैक्चरिंग के लिए प्रयास कर रहा है। ऐसे में आने वाले समय में चीन की हेकड़ी और कम हो जाएगी।