प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जारी है सन्तो की तरह तपस्या,एक वक्त का भोजन कर बिता रहे हैं दिन,जानिए क्या है कारण
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सनातन परंपराओं का पूरी तरह से पालन करते हैं वे ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो चातुर्मास में सिर्फ एक वक्त ही भोजन करते हैं ।कहा जाता है उनका यह सिलसिला युवा अवस्था से चल रहा है जब वे हिमालय की गुफाओं में तपस्या करने पहुंच गए थे तब से ही उन्होंने चातुर्मास व्रत करने का संकल्प ले लिया। उन्होंने स्वयं इस बात का खुलासा किया है कि वे चातुर्मास में सिर्फ एक वक्त ही भोजन करते हैं। प्रधानमंत्री आवास में जब ओलंपिक खिलाड़ियों के बीच जब भोजन लाया जा रहा था तो पीएम मोदी की ओर भी भोजन किया गया तभी पीएम मोदी ने खुलासा किया कि वे चातुर्मास में सिर्फ एक बार ही भोजन करते हैं इसके साथ ही प्रधानमंत्री नवरात्र में भी 9 दिन का व्रत रखते हैं इस तरह से देखा जाए तो भारत के प्रधानमंत्री सदैव सनातन परंपराओं का पालन करते हैं। आपको बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी के बारे में यह कहा जाता है कि उनके निवास में भी उनके पूजन का क्रम करीब 2 घंटे रहता है बे बकायदा जब आराधना करते हैं उसके बाद ही किसी कार्यक्रम के लिए निकलते हैं उनकी फिटनेस को देखते हुए भी लोग अक्सर पूछते रहते हैं कि आखिर वह इतने फिट कैसे रहते हैं तो उन्होंने पहले बताया था कि वह व्यायाम नियमित रूप से करते हैं बमुश्किल वह 4 से 6 घंटे सो भी पाते हैं उन्होंने खुलासा भी किया था कि यह क्रम बहुत लंबे अरसे से चल रहा है।
क्या है चातुर्मास की प्रक्रिया
जिस चातुर्मास में प्रधानमंत्री मोदी सिर्फ एक वक्त भोजन कर रहे हैं उसके बारे में पुराणों में कहा गया है कि चातुर्मास के इन चार महीनों में भगवान विष्णु चार महीनों तक पाताल लोक में क्षीरसागर में शय्या पर शयन करते हैं इसलिए इन दिनों कोई धार्मिक कार्य नहीं किया जाता है और जो तपस्वी होते हैं एक स्थान पर रहकर ही तपस्या करते हैं धार्मिक यात्रा सिर्फ ब्रज की जा सकती है कहा जाता है कि चातुर्मास के दौरान ब्रज में ही सभी देवता निवास करते हैं लिहाजा यहां पर यात्रा की जा सकती है। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऊपर देश की जिम्मेदारी है लिहाजा वे इन 4 महीनों में एक जगह इस दौरान तो नहीं रह सकते लेकिन काफी हद तक वे चातुर्मास के सभी नियमों का पालन करते हैं
साधक के रूप में पहचाने जाते हैं मोदी
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐसी शख्सियत हैं जो सनातन परंपराओं पर पूरी तरह से भरोसा करते हैं और उसको अपने जीवन में धारण भी कर चुके हैं युवावस्था में जब वे हिमालय पहुंच गए थे वहां पर उन्होंने कई सालों तक गुफाओं में रहकर तपस्या की ऐसी तस्वीरें भी उनकी कई निकलकर सामने आई है लेकिन धीरे-धीरे जब राष्ट्र निर्माण की ओर वे बढ़े तो यहां पर भी उनके निर्णय की भारतवर्ष में तारीफ होती है अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति के सहारे ही उन्होंने से अनुछेद 370 की बात हो या राम मंदिर की बात हो तमाम मुद्दों पर अपना वादा पूरा किया है बहरहाल इस चातुर्मास में एक वक्त भोजन करके और काफी हद तक तपस्वी जीवन बिता कर एक अलग ही संदेश सनातन का दे रहे हैं।