गरीबी से लड़ाई लड़ पास की UPSC की परीक्षा,बस ड्राइवर के बेटे ने बढ़ाया अपने गाँव का मान

जिंदगी में कहीं भी पहुंचें से पहले संघर्ष के मैदान में लड़ाई लड़नी ही पड़ती है। ये लड़ाई विपरीत हालातो,मुसीबतो और मुश्किलों से होती है। जो इस जंग में जीत जाता है जिंदगी उसे ही सफलता का हार पहनाती है। ऐसी ही एक लड़ाई के विजेता हैं उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के एक बस ड्राइवर के बेटे मोइन अहमद मंसूरी ,जिन्होंने गरीबी से लड़कर यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में अपने चौथे प्रयास में ही सफलता हासिल करते हुए 296वीं रैंक हासिल की।

बस ड्राइवर हैं पिता,गरीबी में हुआ गुजरा

मोईन अहमद के पिता वली हसन परिवार के एकमात्र पालन-पोषण करने वाले हैं और यूपी रोडवेज के बस चालक हैं। उनकी मां गृहिणी हैं और उनके चार भाई-बहन हैं। उसका बड़ा भाई दिल्ली में एक निजी व्यवसाय में कार्यरत है। मोईन और उसका परिवार किसी भी जमीन का मालिक नहीं है.ऐसे में इस बड़े परिवार के सामने आर्थिक संकट मंडराता रहा। लेकिन इसके बावजूद मोईन ने यूपीएससी जैसी देश की सबसे कठिन परीक्षा को पास करने की जिद ठान ली।

चौथे प्रयास में मिली सफलता

मोईन अपने यूपीएससी के सफर को लेकर बताते हैं कि उन्होंने स्नातक के दौरान ही परीक्षा देने का लक्ष्य बना लिया था। लेकिन आर्थिक संकट के चलते परेशानियां सामने थी। इसके बाद, उन्होंने 2016 में एक साइबर कैफे खोला और 2018 में दुकान से ही कोचिंग फीस के लिए पैसे बचाना शुरू कर दिया।पैसे इकठ्ठा करने के बाद 2019 में, उन्होंने दिल्ली की यात्रा की और परीक्षा के लिए तैयारी करना शुरू किया। यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में उनके पहले तीन प्रयास – 2019, 2020 और 2021 तीनो में वे प्रीलिम्स में ही फेल हो गए। हालाँकि असफलता मोईन के लक्ष्य को हिला नहीं सकी।

मोईन ने 2022 की परीक्षा फिर से दी और इस बार वे 296वां स्थान हासिल करने में सफल रहे। मोईन बताते हैं कि तैयारी के दौरान बीच में पैसे ख़त्म हो गए तो 2.5 लाख रुपये का कर्ज़ भी उन्हें लेना पड़ा था।

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