आज ही के दिन विश्व कप में भारत ने तोड़ा था कंगारुओं का तिलिस्म
एक वक्त था जब ऑस्ट्रेलिया की टीम इतनी ज्यादा हावी हुआ करती थी कि विश्व कप तो क्या एक साधारण द्विपक्षीय सीरीज में भी ऑस्ट्रेलिया को हरा पाना मुश्किल होता था। ऑस्ट्रेलिया ने 2003 और 2007 यह दो ऐसे विश्व कप थे जब विश्व कप के दौरान एक भी मुकाबला नहीं गवाया था। ऐसे में साल 2011 का विश्व कप आता है तब भारतीय टीम कंगारुओं के उस तिलिस्म को तोड़ कर विश्व कप में पहली बार ऑस्ट्रेलिया की टीम को हरा पाती है। जब युवराज सिंह, सुरेश रैना, सचिन तेंदुलकर के महत्वपूर्ण पारियों की बदौलत भारत ने क्वार्टर फाइनल में ऑस्ट्रेलिया को मात दी थी।
ऑस्ट्रेलिया की टीम ने साल 2011 विश्व कप का क्वार्टर फाइनल जो कि आज ही के दिन भारत के खिलाफ हुआ था उसमें पहले बल्लेबाजी करते हुए 50 ओवर में 260 रन बनाए थे। और भारतीय टीम के सामने 261 रनों का लक्ष्य रखा था। आस्ट्रेलियाई टीम की ओर से इस मुकाबले में रिकी पोंटिंग ने शानदार शतकीय पारी खेली थी। और भारतीय टीम को अब कंगारुओं के तिलिस्म को तोड़ना था जो आज तक नहीं हो पाया था।
भारतीय टीम 261 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरती है और भारतीय टीम को 44 रनों की ठीक-ठाक शुरुआत मिल जाती है। 44 रनों के स्कोर पर भारतीय टीम को पहला झटका वीरेंद्र सहवाग के रूप में लगता है जो शेन वॉटसन की गेंद पर माइकल हसी को कैच थमा बैठते हैं। भारतीय टीम को पहला झटका लगने के बाद सचिन तेंदुलकर और गौतम गंभीर के बीच एक बेहतरीन साझेदारी होती है। सचिन तेंदुलकर 53 रन बनाकर शॉन टेट की गेंद पर आउट हो जाते हैं उसके बाद गौतम गंभीर भी 50 रन बनाकर रन आउट हो जाते हैं। उसके बाद विराट कोहली 24 और महेंद्र सिंह धोनी भी 7 रन बनाकर आउट हो जाते हैं। अब भारतीय टीम अपने पांच विकेट खो चुकी होती है और अब जिम्मेदारी एक बार फिर से सबसे बेहतरीन फॉर्म में चल रहे युवराज सिंह और यूसुफ पठान के स्थान पर मौका दिए गए खिलाड़ी सुरेश रैना के ऊपर आ जाती है।
युवराज सिंह मिचेल जॉनसन और शॉन टेट की गेंद पर लगातार प्रहार करते भारतीय टीम को जीत के नजदीक ले जाने लगते हैं। तभी सुरेश रैना भी ब्रेट ली की गेंद पर लगातार रन बनाने लगते हैं। देखते ही देखते भारत रन चेज के बेहद करीब पहुंच जाता है और भारतीय टीम इस मुकाबले को जीत जाती है। युवराज सिंह ने इस मुकाबले में नाबाद 57 और सुरेश रैना ने 34 रनों की नाबाद पारी खेली और भारतीय टीम ने कंगारुओं के तिलिस्म को तोड़ कर उन्हें 2011 के विश्व कप से बाहर कर दिया।