MP में AAP के लिए बन सकते हैं हिमाचल वाले हालात,भाजपा के इस दांव से क्या बेखबर हैं केजरीवाल ?
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी की चुनावी झाड़ू अब मध्य प्रदेश में चलने के लिए बेताब है।आम आदमी पार्टी ने यहाँ प्रदेश की सभी 230 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। वहीं जल्द ही पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविन्द केजरीवाल प्रदेश में आप का चुनावी शंखनाद भी करने जा रहे हैं।अरविन्द केजरीवाल मध्य प्रदेश के रीवा से आप का चुनावी बिगुल फूंकेंगे। वहीं पार्टी प्रदेश में हुए नगरनिगम चुनाव में बतौर महापौर रानी अग्रवाल को मिली जीत के बाद आत्मविश्वास से भरी हुई है। यही वजह है कि पार्टी ने पहले प्रदेश की कमान सिंगरौली से महापौर का चुनाव जीतने वाली रानी अग्रवाल के हांथो में सौंप दी है।
रानी की जीत से खुले एमपी में सियासी चौखट
हालाँकि एमपी में दिल्ली और पंजाब की तरह सियासी पांव जमाना केजरीवाल के लिए आसान नहीं होने वाला है। रानी अग्रवाल की जीत के बाद भले ही केजरीवाल को एमपी में आप के लिए सियासी चौखट खुलते नजर आ रहे हैं लेकिन पार्टी सत्तारूढ़ भाजपा के उन कदमो से बेखबर है जो आप के लिए एमपी में भी हिमाचल जैसे हालात बना सकते हैं।आखिर क्या हैं वो हिमाचल वाले हालात जो एमपी में बढ़ा सकते हैं केजरीवाल की मुश्किलें ? पढ़े लिबरल टीवी की इस रिपोर्ट पर।
हिमाचल में टूट गया था पार्टी का संगठन,चुनाव में सभी की हुई थी जमानत जब्त
पिछले साल 2022 में गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधासनभा चुनाव में भी आम आदमी पार्टी ने जान फूंकी थी। गुजरात में जहाँ पार्टी 5 सीटों पर जीतने में सफल रही थी वहीं हिमाचल में आप के सभी 67 प्रत्याशियों की जमानत भी जब्त हो गई थी।
दरअसल पंजाब में मिली जीत के बाद आप ने हिमाचल में जोरदार शुरुआत की थी। हजारो की तादाद में पार्टी से नेता और कार्यकर्ता भी जुड़े थे। लेकिन आम आदमी पार्टी के संगठन पर जबरदस्त सेंधमारी हुई और पार्टी चुनाव आने तक पूरी तरह बिखर गई थी। चुनाव से पहले ही पार्टी को पूरी प्रदेश इकाई बदलनी पड़ गई थी। वहीं पार्टी के बड़े नेता भी भाजपा और कांग्रेस जैसी दूसरी पार्टियों में शामिल हो गए थे। अब एमपी के चुनाव में हिमाचल जैसे हालात क्यों बन सकते हैं इसकी पीछे की वजह भी आपको बता देते हैं।
आप के खिलाफ हो सकती है बड़ी सेंधमारी
मध्य प्रदेश में कुछ महीनो पहले हुए नगरनिगम चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी प्रदेश की सियासत में पकड़ बनाने की नाकाम कोशिसो में जुटी हुई थी। लेकिन सिंगरौली महापौर चुनाव में पार्टी की प्रत्याशी रानी अग्रवाल की जीत ने अरविन्द केजरीवाल को एमपी की सियासत में भी झाड़ू फेरने के सपने दिखा दिए।इस जीत के बाद से ही पार्टी प्रदेश में अपने संगठन को मजबूत करने में जुट गई।
बिना वक्त गवाएं रानी अग्रवाल को पार्टी ने प्रदेश की कमान सौंप दी जो संभावित तौर पर आप का सीएम फेस भी होंगी। लेकिन अब एमपी में भी हिमाचल की तरह ही दूसरी पार्टियां आप के संगठन में सेंधमारी की तैयारी शुरू कर चुकी हैं जिसकी बानगी भाजपा प्रत्याशियों की पहली लिस्ट में देखने को मिल चुकी है।
केजरीवाल को नहीं लगी भनक,आप का सक्रीय नेता बना भाजपा का उम्मीदवार
आगामी मध्य प्रदेश चुनावों के लिए भारतीय जनता पार्टी की पहली उम्मीदवार सूची में राजकुमार कर्रहे को शामिल किया गया है। जबकि राजकुमार कर्रहे ने बीजेपी उम्मीदवार की सूची में अपना नाम दिखने से कुछ घंटे पहले ही आप की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था.राजकुमार कर्रहे को बालाघाट जिले के लांजी निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा के उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारा गया है। इससे पहले वह आम आदमी पार्टी से अलग होने के बाद सुर्खियों में आए थे।और कुछ ही घंटों बाद, उन्हें भाजपा द्वारा टिकट की पेशकश की गई।
राजकुमार की बगावत आप के लिए खतरे की घंटी
राजकुमार कर्रहे के चयन पर सवाल खड़े हो गए क्योंकि भाजपा उम्मीदवार के रूप में उनके नाम की घोषणा होने से कुछ घंटे पहले तक वह आप के सक्रिय सदस्य थे। आप को इस बड़ी सेंधमारी की जरा भी भनक नहीं लगी और उनका सक्रीय नेता भाजपा का उम्मीदवार बन गया। हालाँकि राजकुमार की राजनीतिक यात्रा लांजी क्षेत्र में भारतीय जनता युवा मोर्चा में एक युवा नेता के रूप में शुरू हुई थी। उन्होंने 2012 तक लांजी जनपद पंचायत के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया। हालांकि, 2018 में उन पर पार्टी के हितों के खिलाफ काम करने का आरोप लगा, जिसके कारण वह AAP में शामिल हो गए थे। वहीं पिछले पांच वर्षों से राजकुमार इस क्षेत्र में आप का सक्रिय चेहरा रहे हैं।
आप के संगठन पर भाजपा की नजर,क्या केजरीवाल हैं इस दांव से अबतक बेखबर ?
मध्य प्रदेश में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में भले ही भाजपा बयानो में आम आदमी पार्टी को तरजीह देने से बच रही हो। लेकिन पार्टी पर्दे के पीछे से एमपी में केजरीवाल के संगठन पर सेंधमारी के प्रयासों में लग गई है। सूत्रों की माने तो भाजपा की निगाहें केजरीवाल के ऐसे ही नेताओ पर हैं जो कभी भगवा पार्टी का हिस्सा थे लेकिन बाद में आप में शामिल हो गए थे।
यहाँ ध्यान देने वाली बात यह भी है कि प्रदेश में आम आदमी पार्टी की कमान संभाल रही रानी अग्रवाल भी साल 2018 तक भाजपा की सक्रीय नेता रही हैं। बहरहाल आम आदमी पार्टी प्रदेश के चुनावी समर में रानी अग्रवाल के नेतृत्व के साथ ताल ठोंकने के लिए तैयार है। बहरहाल आप के लिए एमपी में हिमाचल वाले हालात बनेंगे या केजरीवाल की झाड़ू फिर कोई नया जादू करेगी यह तो चुनाव के बाद भी साफ़ हो पायेगा।