नीरज के स्वर्ण पदक की ट्रेनिंग में सरकार ने खर्च किए 7 करोड़, 450 दिन यूरोप मे की कड़ी मेहनत
भारत को टोक्यो ओलंपिक में अपने भाले से स्वर्ण पदक जिताने वाले नीरज चोपड़ा अब देशभर में छाए हुए हैं। नीरज के सफलता की कहानी हर किसी की जुबान से सुनने मिल रही है। जिस ऐतिहासिक प्रदर्शन की बदौलत नीरज ने भाला फेंक कर स्वर्ण पदक जीता उसकी वाहवाही करते कोई नहीं थक रहा। नीरज चोपड़ा ने जिस दमखम के साथ टोक्यो ओलंपिक के ट्रैक एंड फील्ड में 87.58 मीटर भाला फेक कर स्वर्ण पदक अपने नाम किया उस भाले को तो पूरे देश ने देखा लेकिन इस एक भाले के पीछे न जाने कितने ही सालों की कड़ी मेहनत और ताकत लगी थी यह शायद हर कोई नहीं जानता। नीरज की इसी कड़ी मेहनत का ही नतीजा था कि नीरज ने विश्व के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों को मात देकर स्वर्ण पदक भारत की झोली में डाल दिया।
नीरज को टोक्यो ओलंपिक में मिली सफलता 1 दिन की मेहनत का परिणाम नहीं है इस 1 दिन के लिए नीरज ने 1167 दिनों तक दिन रात एक कर मेहनत की और ट्रेनिंग ली। तब जाकर नीरज ने भारत के इतिहास में पहली बार अपने भाले को स्वर्ण पदक में बदल दिया। नीरज की ट्रेनिंग में सरकार ने भी किसी प्रकार की कोताही नहीं बरती। भारतीय खेल प्राधिकरण ने बताया कि नीरज ने पिछले 5 सालों में कुल 1167 दिन की ट्रेनिंग पटियाला में नेशनल कोचिंग कैंप में ली है। वही इस ट्रेनिंग के अलावा 450 दिन नीरज ने यूरोप में बिताएं हैं जहां उन्होंने अपने प्रदर्शन को निखारने के लिए कड़ी मशक्कत की। वही भाला फेंकने की प्रैक्टिस के लिए कुल 177 भाले नीरज के लिए खरीदे गए इसके साथ ही सरकार के द्वारा 14.28 लाख रुपये की एक भाला फेंकने की मशीन भी नीरज के लिए खरीदी गई। इस पूरी ट्रेनिंग के दौरान सरकार ने कुल 7 करोड रुपए नीरज की टैनिंग में खर्च किए।
नीरज चोपड़ा कि यही सालों की मेहनत आखिरकार रंग लाई और नीरज चोपड़ा का ओलंपिक में ऐतिहासिक प्रदर्शन हमेशा के लिए दर्ज हो गया। नीरज की ट्रेनिंग ने यह बात भी बताई कि भले ही खिलाड़ी जीत 1 दिन में हासिल करते हैं लेकिन उस 1 दिन के लिए खिलाड़ी सालों तक जान लगाकर मेहनत करते हैं तब जाकर देश का नाम अपने खेल के बदौलत खिलाड़ी दुनिया में रोशन करते हैं।