14 सर्जरी होने के बाद भी लेकिन नहीं मानी हारी,अपने दम पर हरियाणा की छोरी ऐसे बनी IAS

मुश्किलों से लड़ना फिर भी आसान होता है,लेकिन जो मुसीबतो से लड़े वही जिंदगी का असली पहलवान होता है। हरियाणा की रहने वाली प्रीती बेनीवाल के लिए इस कहावत का इस्तेमाल करें तो बिलकुल भी गलत नहीं होगा। प्रीती बचपन से ही पढ़ने में तेज थी। अपनी मेहनत दम पर प्रीती ने ग्रेड दो की सरकारी नौकरी भी हासिल कर ली थी। लेकिन साल 2016 में कुछ ऐसा हुआ जिसने पूरी तरह से प्रीती की जिंदगी बदल दी। प्रीती एक ट्रेन हादसे का शिकार हो गई जिसके बाद वो पूरे एक साल तक बिस्तर पर रही। यहाँ तक कि उसकी शादी भी टूट गई। ससुराल वालो ने ताने देकर घर से निकाल दिया। लेकिन कहते हैं जिसके पास जज्बा होता है जीत उसी के नसीब में आती है।

हरियाणा में की पढ़ाई,फिर मिली नौकरी

प्रीति हरियाणा के डुपेडी की रहने वाली है और पास के गांव फफड़ाना के एक निजी स्कूल में पढ़ती थी। अपने पिता की नौकरी पानीपत थर्मल प्लांट में होने के कारण प्रीति ने अच्छे अंकों के साथ 10वीं कक्षा सफलतापूर्वक पूरी की। उन्होंने 12वीं कक्षा के लिए मतलौडा में दाखिला लिया और फिर इसराना कॉलेज से बी.टेक और एम.टेक दोनों में सम्मान के साथ स्नातक किया।

क्लर्क से सहायक जनरल के पद तक किया काम

प्रीति ने बचपन से ही लगातार हर कक्षा में टॉप ग्रेड हासिल किए हैं। प्रीति की मां, बबीता, पास की एक आंगनवाड़ी में काम करती थीं। एमटेक पूरा करने के बाद, प्रीति को 2013 में ग्रामीण बैंक में क्लर्क के रूप में नियुक्त किया गया। उन्होंने 2013 से 2016 तक बहादुरगढ़ में काम किया।एक साल बाद, 2016 में, उन्हें एफसीआई के सहायक जनरल II पद के लिए चुना गया.

हादसे ने बदली जिंदगी

प्रीति दिसंबर 2016 में एफसीआई में विभागीय पदोन्नति के लिए गाजियाबाद में एक परीक्षा में बैठने वाली थी, जब वह एक ट्रेन दुर्घटना का शिकार हो गई। गाजियाबाद रेलवे स्टेशन पर, वह अचानक गिर गई, जिससे वह ट्रेन के सामने आ गई। इस दुखद हादसे में ट्रेन की तीन गाड़ियां प्रीती के शरीर के ऊपर से गुजर गईं। इसके बाद उन्हें 14 सर्जरी से गुजरना पड़ा और एक साल से अधिक समय तक बिस्तर पर रहना पड़ा।

शादी टूट गई, ससुराल वालों छोड़ दिया

भयानक दुर्घटना के बाद उसकी शादी टूट गई। उसके पति और उसके ससुराल वालों दोनों ने उसे छोड़ दिया था। हालाँकि, आईएएस अधिकारी बनने के अपने बचपन के सपने को पूरा करने के उनके दृढ़ संकल्प ने उन्हें जीवित रखा। इसके बाद प्रीति ने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करने का फैसला किया।हालाँकि शुरूआती प्रयासों में वहां भी प्रीती को असफलता ही हाथ लगी।

2020 में किया कमाल,यूपीसीसी में पाई कामयाबी

प्रीती भले ही शारीरिक रूप से टूट गई थी। लेकिन उसके हौसले मजबूत थे। इन मजबूत हौसलों के साथ प्रीती ने यूपीएससी की तैयारी की और लगातार दो बार असफलता देखने के बाद साल 2020 में प्रीती ने यूपीएससी में फतह हासिल कर ली। प्रीती को 754 वी रैंक मिली। प्रीती की यह कहानी आज लाखो ऐसे छात्रों के लिए प्रेरणा है जो मुसीबतो के बाद भी जिंदगी में बढ़ने की राह देख रहे हैं।

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