चंद्रबाबू की गिरफ्तारी के विरोध में राज्यभर में प्रदर्शन,आखिर क्या है पूर्व सीएम से जुड़ा भ्रष्टाचार का मामला ?
आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम चंद्रबाबू नायडू अपनी गिरफ्तारी के बाद से एक बार फिर से सुर्खियों में हैं। आँध्रप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और तेलुगु देशम पार्टी प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू की गिरफ्तारी के बाद टीडीपी ने सोमवार को राज्य बंद का आह्वान किया था.पूर्व सीएम को भ्रष्टाचार के एक मामले में गिरफ्तार किया गया है जिसके बाद राज्य में व्यापक विरोध प्रदर्शन भी देखा जा रहा है।
पुलिस के अनुसार पूर्व सीएम को कैदी संख्या 7691 के साथ अगली प्रक्रिया तक रहने के लिए जेल के स्नेहा विंग में एक ऊपरी ब्लॉक आवंटित किया गया है।इस बीच टीडीपी प्रमुख के बेटे नारा लोकेश और पार्टी के अन्य नेता भी केंद्रीय जेल पहुंचे.वहीं पूर्वी गोदावरी जिला पुलिस ने क्षेत्र में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए राजमुंदरी में प्रतिबन्ध लागू कर दिए हैं। आखिर क्या है चंद्रबाबू नायडू से जुड़ा भ्रस्टाचार का यह मामला ?आइये जानते हैं।
कौशल निगम घोटाले में हुआ एक्शन
दरअसल कथित कौशल विकास निगम घोटाले के सिलसिले में विजयवाड़ा में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) अदालत ने नायडू को रविवार को 23 सितंबर तक 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। इसके बाद भ्रष्टाचार के मामले में सोमवार तड़के न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के बाद नायडू राजमुंदरी सेंट्रल जेल पहुंचे।
सरकार को 300 करोड़ के नुकसान का दावा
चंद्रबाबू नायडू को आंध्र प्रदेश आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) ने कथित भ्रष्टाचार के एक मामले में शनिवार को गिरफ्तार कर लिया था। अधिकारियों के अनुसार, यह मामला आंध्र प्रदेश राज्य में उत्कृष्टता केंद्रों (सीओई) के समूहों की स्थापना से संबंधित है, जिसका कुल अनुमानित परियोजना मूल्य 3300 करोड़ रुपये है। एजेंसी के अधिकारियों ने यह भी दावा किया कि कथित धोखाधड़ी से राज्य सरकार को 300 करोड़ रुपये से अधिक का भारी नुकसान हुआ है।
पाई गई कई अनिमितताएं
सीआईडी के अनुसार, जांच में गंभीर अनियमितताएं सामने आई हैं, जैसे कि निजी संस्थाओं द्वारा किसी भी खर्च से पहले, तत्कालीन राज्य सरकार ने 371 करोड़ रुपये की अग्रिम राशि प्रदान की, जो सरकार की पूरी 10 प्रतिशत प्रतिबद्धता का प्रतिनिधित्व करती है।सीआईडी अधिकारियों ने कहा कि सरकार द्वारा दी गई अधिकांश धनराशि फर्जी बिलों के माध्यम से शेल कंपनियों को भेज दी गई, बिलों में उल्लिखित वस्तुओं की कोई वास्तविक डिलीवरी या बिक्री नहीं हुई।
सीआईडी ने अपनी रिमांड रिपोर्ट में कहा है कि अब तक की जांच के अनुसार, छह कौशल विकास समूहों पर निजी संस्थाओं द्वारा खर्च की गई कुल राशि विशेष रूप से एपी सरकार और एपी कौशल विकास केंद्र द्वारा उन्नत धनराशि से प्राप्त की गई है, जो कुल 371 करोड़ रुपये है।