महिला आरक्षण बिल पर श्रेय लेने की होड़.. जानें कैसे-कैसे तर्क दे रहे पक्ष-विपक्ष के नेता
महिला आरक्षण बिल लोकसभा में पेश हो गया है। इसी के साथ लोकसभा में इस पर चर्चा भी शुरू हो गई है। कल तक हमारा बिल कहने वालीं कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आज फिर कहा कि ये राजीव गांधी का सपना था। वहीं लोकसभा में केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने चर्चा शुरू करते हुए कहा कि यह विधेयक महिलाओं की गरिमा के साथ-साथ अवसरों की समानता को भी बढ़ाएगा। महिलाओं को प्रतिनिधित्व मिलेगा। इसके चार महत्वपूर्ण खंड हैं। मीडिया से उन्होंने कहा कि इस पर पूरे दिन 11 बजे से शाम 6 बजे तक चर्चा होगी। इसका चुनाव से कोई संबंध नहीं है।
बिल तो पहले ही राज्यसभा से पास हो गया : खरगे
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि पहले ही राज्यसभा में 2010 में हमने बिल पास किया है। लोकसभा में किसी कारण से बिल पास नहीं हुआ। यह कोई नया विधेयक नहीं है। उन्होंने कहा कि मेरा अंदाज़ा है कि ये लोग चुनाव की दृष्टि से ऐसा बोल रहे हैं, लेकिन इन्होंने कहा है कि जनगणना, परिसीमन होने के बाद सभी चीज़ों को ध्यान में रखते हुए इसे लागू किया जाएगा और इसमें समय लगेगा। जो विधेयक राज्यसभा में पास हुआ था, ये उसे आगे बढ़ा सकते थे लेकिन इनकी मंशा कुछ और है। हम महिला आरक्षण बिल के पक्ष में हैं लेकिन जो कमियां हैं उन्हें दुरुस्त करना चाहिए।
श्रेयवाद की लड़ाई बंद हो : संजय राउत
शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट के सांसद संजय राउत ने कहा कि यह क्रेडिट या श्रेय वाद की लड़ाई बंद होनी चाहिए। ये देश का कार्य है, सरकार आपकी है आने वाले दिनों में किसी और की होगी। अगर आप महिलाओं की बात करते हैं तो श्रेय वाद की बात क्यों करते हैं?
बिल पास करने की हिम्मत नहीं थी : जावड़ेकर
भाजपा सांसद प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि 2010 में कांग्रेस पार्टी महिला आरक्षण बिल लेकर आई थी, भाजपा ने समर्थन भी किया था लेकिन लोकसभा में इस बिल को पास करने की उनकी हिम्मत नहीं थी। अभी जो मुद्दें उठ रहे हैं यह दर्शा रहा है कि कोई अन्य मुद्दा नहीं है। भाजपा के राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने कहा कि 2004 से 2014 तक कांग्रेस के पास पर्याप्त सीटें थीं। उन्होंने बिल पारित क्यों नहीं कराया? जब राज्यसभा में बिल पारित हो गया था, तो लोकसभा में पारित क्यों नहीं करा पाए? वे अपने सहयोगी दलों के दबाव में क्यों झुक गए? इस बात का जवाब सोनिया गांधी और कांग्रेस के नेताओं को देना होगा।