एमपी में बीजेपी का गेम प्लान.. बांटो और राज करो की नीति अपनाई
मध्यप्रदेश में नवंबर में चुनाव होने हैं। कांग्रेस और भाजपा अपनी तैयारियों में जुट गई हैं। भाजपा जहां शिवराज सिंह चौहान की अगुवाई में एक बार फिर जनकल्याणकारी योजनाओं के सहारे मैदान में है, तो कांग्रेस कमलनाथ के दम पर एक बार फिर भाजपा को तगड़ी चुनौती देगी। इस बीच लाड़ली बहना योजना से भाजपा को संजीवनी मिली है, लेकिन महंगाई ने उसकी चिंता बढ़ा दी है। ऐसे में 500 रुपये में सिलेंडर देने के कांग्रेस के वादे की तोड़ के रूप में शिवराज सरकार सब्सिडी की भी घोषणा कर सकती है। भाजपा का मानना है कि कमलनाथ के लिए शिवराज की बराबरी करना मुश्किल है। चौहान के खिलाफ कोई जनाक्रोश नहीं है।
ऐसा फार्मूला पहले अपना चुकी बीजेपी
मध्यप्रदेश में भाजपा की चुनावी रणनीति है कि कांग्रेस को उलझा दिया जाए। मुश्किल सीटों पर त्रिकोणीय लड़ाई हो, जिसका फायदा बीजेपी को मिल सके। भाजपा 2003 से लेकर अब तक कई बार यह फार्मूला अपना चुकी है। विशेष रूप से आदिवासी और उन क्षेत्रों में जहां कांग्रेस को पारंपरिक रूप से बढ़त मिलती है। इन सीटों पर गोंडवाना गणतंत्र पाटी, बसपा के अलावा जय आदिवासी युवा संगठन (जयस) जैसे कई छोटे दल और आदिवासी संगठन भी मैदान में हैं। जयस ने 230 सीटों में से 80 पर चुनाव लडऩे की घोषणा की है। बसपा ने पहले से ही अपने उम्मीदवारों की घोषणा करना शुरू कर दिया है। ओवैसी की एआईएमआईएम भी चुनाव मैदान में होगी, तो आम आदमी पार्टी भी दम ठोकती नजर आएगी। ऐसे में ये सभी पार्टियां कांग्रेस को ज्यादा नुकसान पहुंचा सकती हैं। यही बीजेपी का गेम प्लॉन भी है कि कांग्रेस को बहुकोणीय मुकाबले में उलझाकर पटखनी दे दी जाए।