यूपी में मुस्लिम जनाधार बढ़ाने के लिए भाजपा ने तैयार की मेगा टीम ,जानिए कैसे देगी पार्टी इस अभियान को अंजाम
उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी विधानसभा चुनाव से पहले अपनी तमाम कमजोर कड़ियों को मजबूत करने की कोशिश में जुट गई है। मुस्लिमों को भी भाजपा के रंग में रंगने के लिए अब बीजेपी का अल्पसंख्यक मोर्चा मैदान पर होगा। 107 सीटों पर जो कि मुस्लिम बाहुल्य सीट कहीं जाती है वहां पर 44 हजार मुस्लिम कार्यकर्ता घर घर जाएंगे और योगी सरकार की नीतियों को बताएंगे और अपील करेंगे कि वह बीजेपी का साथ दें ।
आपको बता दें कि इस पूरी कवायद में अल्पसंख्यक कल्याण के लिए जितनी भी योजनाएं तैयार की गई हैं उनके बारे में बताया जाएगा । उत्तर प्रदेश में योगी सरकार की कल्याणकारी योजनाओं और केंद्र में मोदी सरकार के विकास कार्यो को भी बताया जाएगा ।बीजेपी के अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष कुंवर बासित अली की माने तो अल्पसंख्यक संगठन का लक्ष्य 44 हजार कार्यकर्ताओं की टीम तैयार करने का है उन्होंने कहा अभी फिलहाल हमारे पास 20 हजार नेता है जो कि लगातार बीजेपी में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। इन्हीं के जरिए हम 44 हजार नेता तैयार करेंगे उसके बाद गांव गांव हम योगी सरकार की नीतियों को लेकर जाएंगे ।
उन्होंने यह भी कहा कि लगातार विपक्षी दल यह बताते रहते हैं कि बीजेपी ने मुस्लिम कल्याण के लिए कोई काम नहीं किया जबकि ऐसा नहीं है बीजेपी सरकार मुसलमानों का बहुत ध्यान रख रही है ।उन्होंने यह भी कहा कि अल्पसंख्यक समाज के बीच प्रबुद्ध सम्मेलन की शुरुआत भी 25 अगस्त से कर दी जाएगी ये प्रबुद्ध सम्मेलन उन जिलों में किया जाएगा जहां पर मुस्लिम बाहुल्य इलाके हैं धीरे-धीरे इसको मंडल स्तर पर भी लेकर आया जाएगा ।मकसद इसका यही है कि मुसलमानों को बीजेपी से जोड़ना है मुसलमानों के कल्याण के लिए कार्य करना है उनकी विकास की बात करना है।
बता दें कि उत्तर प्रदेश में तकरीबन 20% मुस्लिम मतदाता चुनावी समीकरण बदलने की हैसियत रखता है। उत्तर प्रदेश में 143 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां पर मुस्लिम मतदाताओं का प्रभुत्व है। वही 70 विधानसभा सीटों में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 30% तक आंकी जा रही है। अगर इन आंकड़ों के खेल को समझें तो तस्वीर साफ हो जाती है कि विधानसभा चुनावों में मुस्लिम मतदाताओं का समर्थन पार्टी के लिए नतीजे बदलने वाला साबित हो सकता है ऐसे में कोई भी पार्टी अल्पसंख्यक वर्ग का साथ छोड़ना नहीं चाहती है। हालांकि बीजेपी के इतिहास को देखें तो लंबे समय से अल्पसंख्यक समुदाय से भाजपा की दूरी रही है लेकिन अब 2022 विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा अपनी तमाम कमजोर कड़ियों को दुरस्त करने में जुट गई है जिसमें सबसे पहले अल्पसंख्यक वर्ग को अपने समर्थन में लेने के प्रयास शुरू कर दिए गए हैं।