जन्मदिन विशेष : शून्य से विश्व विजेता बनने तक के सफर की कहानी कैसे बने भारत के सफल कप्तान

Liberal Sports Desk :महेंद्र सिंह धोनी विश्व क्रिकेट का एक ऐसा नाम व भारतीय क्रिकेट का एक ऐसा नायाब हीरा जिसने भारतीय क्रिकेट की तस्वीर ही बदल कर रख दी।महेंद्र सिंह धोनी भारतीय क्रिकेट टीम के लिए एक ऐसा तुरुप का इक्का बनकर आये जिसने भारत को उस शिखर तक पहुंचाया जिस शिखर तक भारत को बेहद ही कम खिलाड़ी व कप्तानों ने पहुंचाया था। महेंद्र सिंह धोनी ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में एक खिलाड़ी के तौर पर एक कप्तान के तौर पर ऐसी कोई उपलब्धि नहीं जो उन्होंने हासिल ना की हो चाहे वह एक खिलाड़ी के तौर पर बेहतरीन औसत के साथ बल्लेबाजी एक बेहतरीन फिनिशर एक बेहतरीन कप्तान हर एक उपलब्धि जो महेंद्र सिंह धोनी ने अपने 16 साल के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर के दौरान हासिल की चाहे वह भारत को 2007 का T20 वर्ल्ड कप जिताने की उपलब्धि हो या 28 साल बाद भारत को वनडे विश्व कप दिलाने की उपलब्धि हो या 11 साल बाद भारत को आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी का खिताब जिताने की उपलब्धि हो महेंद्र सिंह धोनी ने अपनी कप्तानी में भारत को वो हर ट्रॉफी दिलाई जिस ट्रॉफी को टीमें अपने हाथों में रखने का सपना संजोती हुई नजर आती है आज 7 जुलाई महेंद्र सिंह धोनी का जन्म दिवस है आज विश्व क्रिकेट का अद्भुत फिनिशर महेंद्र सिंह धोनी अपना 40 वा जन्म दिवस मना रहे।

शून्य से कैसे बने विश्व विजेता कप्तान

महेंद्र सिंह धोनी का जन्म 7 जुलाई 1981 को झारखंड के रांची शहर में हुआ। महेंद्र सिंह धोनी की रुचि खेल में शुरू से ही थी हालांकि वह फुटबॉल खेलना ज्यादा पसंद करते थे और फुटबॉल खेलते देख ही उनके स्कूल के कोच की नजर महेंद्र सिंह धोनी पर पड़ी और एक खिलाड़ी की कमी के कारण महेंद्र सिंह धोनी को विकेटकीपर के तौर पर स्कूल टीम में भी चुन लिया गया। लोकल क्रिकेट खेलते खेलते महेंद्र सिंह धोनी अपनी ख्याति प्राप्त करते गए और 1997- 98 में वीनू मांकड ट्रॉफी अंडर 16 में उन्हें चुन लिया गया।

नौकरी और क्रिकेट में महेंद्र सिंह धोनी ने क्रिकेट को चुना

महेंद्र सिंह धोनी खड़कपुर में जब एक वक्त रेलवे में नौकरी कर रहे थे उस वक्त उनके मन में यह द्वंद पैदा होने लगा कि वह नौकरी और क्रिकेट में किसे चुने उनका लगाव क्रिकेट की ओर था लेकिन उन्हें नौकरी भी करनी थी ऐसे में उन्होंने क्रिकेट को चुन लिया। महेंद्र सिंह धोनी ने बिहार की तरफ से देवधर ट्रॉफी और लिस्ट ए के मुकाबले भी खेलें। जल्द ही महेंद्र सिंह धोनी को इंडिया ए की टीम से खेलने का भी मौका मिल गया । वे लगातार क्रिकेट में अपनी आक्रामक बल्लेबाजी की छवि से सबको प्रभावित करते नजर आ रहे थे।

सौरव गांगुली की नजरों में आए महेंद्र सिंह धोनी

भारत ए की ओर से लगातार अच्छा प्रदर्शन करते हुए महेंद्र सिंह धोनी क्रिकेट में धूम मचाते हुए नजर आ रहे थे तभी उस समय भारतीय टीम के कप्तान सौरव गांगुली की नजर उन पर पड़ी और सौरव गांगुली ने जल्दी ही उन्हें भारतीय टीम के लिए चुन लिया।

23 दिसंबर 2004 को भारत के लिए किया एकदिवसीय मैच से किया पदार्पण

23 दिसंबर 2004 को बांग्लादेश के विरुद्ध महेंद्र सिंह धोनी ने अपने एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय करियर का पदार्पण किया लेकिन महेंद्र सिंह धोनी उस मुकाबले में 0 पर रन आउट हो गए ऐसे में महेंद्र सिंह धोनी जो कि लगातार घरेलू क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन कर रहे थे जाहिर सी बात है उन्हें भी झटका लगा होगा। महेंद्र धोनी एकदिवसीय पदार्पण मैच में सातवें नंबर पर बल्लेबाजी करने पहुंचे थे और वह शून्य पर आउट हो गए और उस मुकाबले में विकेटकीपिंग से भी वे कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर पाए। अपनी एकदिवसीय पदार्पण मैच की सीरीज में महेंद्र सिंह धोनी के हाथ कुछ खास सफलता नहीं लगी उन्हें नीचे बल्लेबाजी करने मिल रही थी और वे सफल नहीं हो पा रहे थे।

साल 2005 में पाकिस्तान के भारत दौरे ने बदली महेंद्र सिंह धोनी की किस्मत

2005 में पाकिस्तान टीम 6 वनडे मैचों की सीरीज खेलने भारत दौरे पर आई जहां महेंद्र सिंह धोनी को एक बार फिर से भारतीय टीम में मौका दिया गया। हालांकि महेंद्र सिंह धोनी को ऐसी उम्मीद नहीं थी कि उन्हें पाकिस्तान के खिलाफ खेलने का मौका दिया जाएगा क्योंकि उन्होंने अपनी पदार्पण सीरीज में कुछ खास प्रदर्शन नहीं किया था। लेकिन सौरव गांगुली ने उन पर भरोसा जताया और महेंद्र सिंह धोनी को वनडे सीरीज में मौका दिया। भारतीय टीम इस सीरीज में पहला मुकाबला हार चुकी थी और सौरव गांगुली जो कि खिलाड़ियों के लिए हमेशा अपने अद्भुत फैसले लेने के लिए प्रसिद्ध रहे हैं उन्होंने कुछ ऐसा ही फैसला महेंद्र सिंह धोनी को लेकर किया सौरव गांगुली ने महेंद्र सिंह धोनी को विशाखापट्टनम में खेले गए एकदिवसीय मुकाबले में नंबर तीन पर बल्लेबाजी करने के लिए भेज दिया महेंद्र सिंह धोनी के लिए भी यह फैसला चौंकाने वाला था क्योंकि उन्होंने अब तक नंबर 7 पर ही बल्लेबाजी की थी लेकिन सौरव गांगुली के द्वारा किया गया यह फैसला महेंद्र सिंह धोनी के लिए संजीवनी बनकर साबित हुआ।

नंबर तीन पर बल्लेबाजी करते हुए जड़ दिए 148 रन

विशाखापट्टनम वनडे मुकाबले में महेंद्र सिंह धोनी ने नंबर तीन पर बल्लेबाजी करते हुए शानदार पारी खेली और उन्होंने पाकिस्तान के बेहतरीन गेंदबाजों के विरुद्ध एक अद्भुत ही बल्लेबाजी करते हुए 148 रन जड़ दिए उस समय पाकिस्तान का गेंदबाजी आक्रमण बहुत ही शानदार था और महेंद्र सिंह धोनी की इस ताबड़तोड़ बल्लेबाजी को देखकर सभी खिलाड़ी बेहद ही अचंभित थे। धोनी ने अपनी 148 रनों की बेहतरीन पारी में 15 चौके और 4 गगनचुंबी छक्के लगाए थे महेंद्र सिंह धोनी छक्के मारने के लिए तो प्रसिद्ध थे ही और उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भी इस पारी में वह करके भी दिखा दिया था। महेंद्र सिंह धोनी की इस पारी के साथ ही वह भारतीय क्रिकेट टीम का एक अहम हिस्सा भी बन गए थे।

भारतीय टीम के सबसे खराब दौर में बने टीम इंडिया के कप्तान

महेंद्र सिंह धोनी को भारतीय क्रिकेट के कप्तान के रूप में ऐसे वक्त में लाया गया जब भारतीय टीम का सबसे खराब दौर कहे तो यह कहना गलत नहीं होगा भारतीय टीम 2007 एकदिवसीय विश्वकप से बुरी तरह हार कर बाहर हो गई थी भारतीय टीम के ऊपर फैंस की नाराजगी बेहद ही ज्यादा देखने को मिल रही थी भारतीय टीम इंग्लैंड दौरे पर भी जाकर 4 -1 से एकदिवसीय सीरीज गवा चुकी थी ऐसे में उस वक्त भारतीय टीम के कप्तान राहुल द्रविड़ ने कप्तानी छोड़ने का फैसला किया ऐसे में अब यह सवाल उठ रहा था राहुल द्रविड़ के बाद भारत की कप्तानी कौन करेगा सचिन तेंदुलकर पहले ही भारतीय क्रिकेट की कप्तानी लेने से इनकार कर चुके थे ऐसे में महेंद्र सिंह धोनी को भारतीय क्रिकेट की जिम्मेदारी सौंपी गई

भारतीय दौरे पर आई ऑस्ट्रेलियाई टीम के एक दिवसीय सीरीज पर मिली महेंद्र सिंह धोनी को कप्तानी

महेंद्र सिंह धोनी को पहली दफा एक एकदिवसीय सीरीज की कप्तानी 2007 में भारत दौरे पर आई ऑस्ट्रेलियाई टीम की एकदिवसीय सीरीज के दौरान मिली इस दौरे पर महेंद्र सिंह धोनी सीरीज जिताने में तो नाकामयाब रहे लेकिन उन्होंने जिस तरह से भारतीय क्रिकेट टीम की कप्तानी की वह काफी लाजवाब थी भारतीय टीम सीरीज तो 4-2 से जरूर हार गया लेकिन भारतीय क्रिकेट को यहां से महेंद्र सिंह धोनी के रूप में एक दिलेर कप्तान जरूर मिल गया

नए फॉर्मेट में महेंद्र सिंह धोनी को विश्व कप में मिली कप्तानी

2007 में नया फॉर्मेट T20 विश्व कप से महेंद्र सिंह धोनी ने पहली दफा वर्ल्ड कप की कप्तानी की नया फॉर्मेट था इसलिए कई बड़े दिग्गज खिलाड़ियों ने भी युवाओं को मौका देने का फैसला किया युवा टीम थी युवा कप्तान था लेकिन भारतीय क्रिकेट की किस्मत यहां से बदलने वाली थी। भारतीय टीम ने 2007 टी20 विश्व कप में एकाएक मैच जीतकर सभी टीमों को अचंभित करते गई और देखते ही देखते भारतीय टीम के युवा खिलाड़ियों और युवा कप्तान के दम पर भारतीय टीम ने 2007 T20 वर्ल्ड कप के फाइनल मुकाबले में अपनी जगह बना ली जहां पर भारत को अपने चिर प्रतिद्वंदी पाकिस्तान से फाइनल मुकाबला खेलना था। मैच बेहद रोमांचक होने वाला था क्योंकि पाकिस्तान भी उस समय बेहतर क्रिकेट खेल रही थी और भारत और पाकिस्तान के मैच में हमेशा ही एक रोमांच और गहमागहमी देखने को मिलती है लेकिन युवा कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के इरादे कुछ और ही थे भारतीय टीम ने पाकिस्तान को फाइनल में हराते हुए 2007 में आयोजित पहले t20 विश्व कप अपने नाम कर लिया और टीम मैनेजमेंट के उस फैसले को भी सही कर दिया जिस फैसले से कई दिग्गज खिलाड़ी नाराजगी जाहिर करते नजर आए थे और भारतीय टीम यहां से एक अलग सी टीम बनकर उभरने लगी महेंद्र सिंह धोनी भी यहां से लगातार प्रसिद्धि की ओर बढ़ने लगे।

विदेशी दौरों पर भारत के खराब रिकॉर्ड को लगातार बेहतर करने लगे महेंद्र सिंह धोनी

भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी अब विदेशी दौरों पर जाकर भी भारतीय टीम के खराब प्रदर्शन को भुलाते हुए शानदार प्रदर्शन करने लगे थे और विदेशों में भी जीत हासिल करने लगे थे। भारत में महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया में पहली दफा सीबी सीरीज जीती दक्षिण अफ्रीका में 1-1 से टेस्ट सीरीज बराबर की न्यूजीलैंड में जाकर सीरीज जीती कुछ ऐसे और भी बड़ी सीरीज जो महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में भारत ने उस दौर में हासिल की कप्तान महेंद्र सिंह धोनी अपनी नेतृत्व क्षमता से सबको प्रभावित करते नजर आ रहे थे और अब बारी थी 2011 में भारत में होने वाले एकदिवसीय विश्वकप की

28 साल बाद भारत को विश्व विजेता बनने का गौरव हासिल करवाया

भारत 1983 के बाद एकदिवसीय विश्व कप नहीं जीत पाया था 2003 में भारत विश्व कप जीतने के बेहद ही सौरव गांगुली की कप्तानी में करीब पहुंचा था लेकिन भारत फाइनल में मुकाबला हार गया था सभी को उम्मीद थी कि भारत महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में 2011 विश्व कप जीत सकता है भारतीय टीम सितारों से सजी हुई थी भारतीय टीम में वीरेंद्र सहवाग सचिन तेंदुलकर गौतम गंभीर युवराज सिंह जैसे बड़े खिलाड़ी थे भारत एक-एक मैच जीतकर वर्ल्ड कप में आगे बढ़ता गया और भारत शानदार प्रदर्शन करते हुए विश्व कप के फाइनल में भी पहुंच गया जहां उसका सामना श्रीलंका से हुआ। भारत में गौतम गंभीर और महेंद्र सिंह धोनी के फाइनल मुकाबले में खेली गई 91 रनों की पारी से श्रीलंका को हराकर 28 साल बाद भारत को विश्व विजेता बनने का गौरव हासिल किया महेंद्र सिंह धोनी लगातार अपनी कामयाबी का अध्याय लिखते जा रहे थे और इसी सफलता के बीच 2013 में इंग्लैंड में आयोजित होने वाली चैंपियंस ट्रॉफी भी भारत ने जीत ली और महेंद्र सिंह धोनी ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि विदेशों में भी उन्हें जीत हासिल करने में कोई समस्या नहीं है

2017-18 में फीकी पड़ने लगी थी धोनी की बल्लेबाजी की चमक

समय के साथ साथ महेंद्र सिंह धोनी की बल्लेबाजी में भी अब और निरंतरता देखने मिलने लगी थी धोनी की मैच को फिनिश करने वाली बात अब खत्म होने लगी थी और देखते ही देखते अचानक महेंद्र सिंह धोनी ने 15 अगस्त 2020 को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया और भारतीय क्रिकेट का एक नायाब सितारा भारतीय क्रिकेट को नए आयाम तक पहुंचा कर संन्यास की घोषणा कर दी महेंद्र सिंह धोनी भारतीय क्रिकेट के एक ऐसे सितारे हैं जिन्होंने भारतीय क्रिकेट की कामयाबी यों को शिखर तक पहुंचा दिया है

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