दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे पहलवानो का ऐलान,आज शाम 6 बजे हरिद्वार में विसर्जित कर देंगे मेडल और सम्मान
दिल्ली में भारतीय कुस्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले पहलवानो ने अब बड़ा ऐलान किया है। हाल ही में दिल्ली के जंतर मंतर पर उनके विरोध स्थल से हिरासत में लिया गया था और हटा दिया गया था,ऐसे में अब पहलवानो ने ऐलान किया है कि वे मंगलवार को हरिद्वार में अपने पदक गंगा नदी में विसर्जित करेंगे और फिर इंडिया गेट पर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठेंगे।
साक्षी मलिक, बजरंग पुनिया और संगीता फोगट सहित पहलवानों ने अपने-अपने ट्विटर हैंडल पर एक बयान दिया, जिसमें कहा गया कि पहलवान हरिद्वार जाएंगे और शाम 6 बजे गंगा नदी में अपने पदक विसर्जित करेंगे।
राष्ट्रपति से लेकर पीएम मोदी तक पर उठाये सवाल
पहलवानो ने अपने संयुक्त बयान में राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पर सवाल उठाये हैं। बयान में कहा गया कि “28 मई को जो हुआ वह आप सबने देखा. पुलिस ने हम लोगों के साथ क्या व्यवहार किया. हमें कितनी बर्बरता से गिरफ़्तार किया. हम शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे थे. हमारे आंदोलन की जगह को भी पुलिस ने तहस नहस कर हमसे छीन लिया और अगले दिन गंभीर मामलों में हमारे ऊपर ही एफ़आईआर दर्ज कर दी गई. क्या महिला पहलवानों ने अपने साथ हुए योन उत्पीड़न के लिए न्याय माँगकर कोई अपराध कर दिया है.”
हमारे साथ अपराधियों जैसा व्यवहार
पहलवानो ने कहा कि पुलिस और तंत्र हमारे साथ अपराधियों जैसा व्यवहार कर रही है, जबकि उत्पीड़क खुली सभाओं में हमारे ऊपर फबतियाँ कस रहा है. टीवी पर महिला पहलवानों को असहज कर देनी वाली अपनी घटनाओं को क़बूल करके उनको ठहाकों में तब्दील कर दे रहा है. यहाँ तक कि पास्को एक्ट को बदलवाने की बात सरेआम कह रहा है. हम महिला पहलवान अंदर से इतना ऐसा महसूस कर रही हैं कि इस देश में हमारा कुछ बचा नहीं है. हमें वे पल याद आ रहे हैं जब हमने ओलंपिक, वर्ल्ड चैंपियनशिप में मेडल जीते थे.अब लग रहा है कि क्यों जीते थे. क्या इसलिए जीते थे कि तंत्र हमारे साथ ऐसा घटिया व्यवहार करे. हमें घसीटे और फिर हमें ही अपराधी बना दे.
हमारे मैडल का नहीं कोई मतलब
पहलवानो ने आगे कहा कि कल पूरा दिन हमारी कई महिला पहलवान खेतों में छिपती फिरी हैं. तंत्र को पकड़ना उत्पीड़क को चाहिए था, लेकिन वह पीड़ित महिलाओं को उनका धरना ख़त्म करवाने, उन्हें तोड़ने और डराने में लगा हुआ है.अब लग रहा है कि हमारे गले में सजे इन मेडलों का कोई मतलब नहीं रह गया है. इनको लौटाने की सोचने भर से हमें मौत लग रही थी, लेकिन अपने आत्म सम्मान के साथ समझौता करके भी क्या जीना.
राष्ट्रपति और पीएम पर भी सवाल
पहलवानो ने कहा कि यह सवाल आया कि किसे लौटाएँ. हमारी राष्ट्रपति को, जो खुद एक महिला हैं. मन ने ना कहा, क्योंकि वह हमसे सिर्फ़ 2 किलोमीटर बैठी सिर्फ़ देखती रहीं, लेकिन कुछ भी बोली नहीं.हमारे प्रधानमंत्री को, जो हमें अपने घर की बेटियाँ बताते थे. मन नहीं माना, क्योंकि उन्होंने एक बार भी अपने घर की बेटियों की सुध – बुध नहीं ली. बल्कि नयी संसद के उद्घाटन में हमारे उत्पीड़क को बुलाया और वह तेज सफ़ेदी वाली चमकदार कपड़ों में फ़ोटो खिंचवा रहा था. उसकी सफ़ेदी हमें चुभ रही थी. मानो कह रही हो कि मैं ही तंत्र हूँ.
गंगा में बहा देंगे मेडल
पहलवानो की ओर से कहा गया कि अपवित्र तंत्र अपना काम कर रहा है और हम अपना काम कर रहे हैं. अब लोक को सोचना होगा कि वह अपनी इन बेटियों के साथ खड़े हैं या इन बेटियों का उत्पीड़न करने वाले उस तेज सफ़ेदी वाले तंत्र के साथ.आज शाम 6 बजे हम हरिद्वार में अपने मेडल गंगा में प्रवाहित कर देंगे.इस महान देश के हम सदा आभारी रहेंगे.