4 ऐसे खिलाड़ी जो खिलाड़ी के तौर पर थे दमदार पर कप्तान में हुए सुपर फ्लॉप

Liberal Sports Desk : विश्व क्रिकेट में कई शानदार खिलाड़ी रहे हैं जो एक खिलाड़ी के तौर पर अपनी टीम के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते नजर आते थे फिर चाहे क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर हूं इंग्लैंड के एंड्रयू फ्लिंटॉफ हो या फिर दक्षिण अफ्रीका के धाकड़ खिलाड़ी हाशिम आमला हो ये खिलाड़ी एक टीम में खिलाड़ी के तौर पर शानदार प्रदर्शन करते नजर आते थे लेकिन जब बात इन खिलाड़ियों की कप्तानी की आई खिलाड़ियों की कप्तानी में टीम ने कुछ खास प्रदर्शन नहीं किया टीम का ग्राफ लगातार नीचे गिर तरह आज इस आर्टिकल में हम ऐसे खिलाड़ियों की बात करने जा रहे हैं जो एक खिलाड़ी के तौर पर तो लाजवाब रहे लेकिन एक कप्तान के तौर पर है सुपर फ्लॉप भी रहे।

क्रिस गेल : वेस्टइंडीज क्रिकेट का एक ऐसा नाम जो केवल छक्के और चौकों के लिए जाने जाता हैं। जिसकी बल्लेबाजी देखने के लिए लोग एक जगह रुक जाते हैं और यूनिवर्स बॉस के नाम से उन्हें जाना जाता है। दुनिया भर की हर फ्रेंचाइजी लीग में क्रिस गेल ने जो कारनामे किए हैं उससे सभी पूरी तरह से जानते हैं लेकिन क्रिस गेल भी कभी वेस्टइंडीज टीम के कप्तान रहे हैं लेकिन उनकी कप्तानी में टीम का प्रदर्शन कोई खास नहीं रहा है।

क्रिस गेल ने 2007 से लेकर 2010 तक वेस्टइंडीज के लिए 20 टेस्ट मैचों में टीम का प्रतिनिधित्व किया है। इस दौरान गेल की कप्तानी में वेस्टइंडीज ने केवल तीन टेस्ट मैच जीते और नौ टेस्ट मैच हारे।वहीं इसके अलावा आज टेस्ट मैच ड्रॉ खेले गए इस रिकॉर्ड से साफ तौर पर जाहिर होता है कि गेल खिलाड़ी के तौर पर तो शानदार थे पर एक कप्तान के तौर पर अपनी टीम को आगे नहीं बढ़ा पाए।

हाशिम आमला

हाशिम आमला : दक्षिण अफ्रीका के लिए टेस्ट और वनडे मैच में रिकॉर्ड की झड़ी लगाने वाले बल्लेबाज हाशिम अमला का जब हम एक खिलाड़ी के तौर पर प्रदर्शन देखते हैं तो हाशिम आमला बेहद ऊपर नजर आते हैं क्योंकि इस खिलाड़ी ने दक्षिण अफ्रीका के लिए ऐसी पारियां खेली है जो हमेशा याद रहेंगी। टेस्ट मैच में इस खिलाड़ी ने ओवल के मैदान पर इंग्लैंड में तिहरा शतक भी लगाया है। टेस्ट मैच के धाकड़ बल्लेबाज हाशिम आमला वनडे में भी उतने ही शानदार खिलाड़ी रहे हैं जितने आज विराट कोहली हैं लेकिन जब बात इनकी कप्तानी की आती है तब कहीं ना कहीं अपनी टीम को उस स्तर पर नहीं ले जा सके जहां पर दक्षिण अफ्रीका के पूर्व कप्तान ग्रीम स्मिथ लेकर गए थे।

हाशिम अमला ने 2011 से लेकर 2015 तक दक्षिण अफ्रीका के लिए वनडे क्रिकेट की कप्तानी की। हाशिम अमला ने उस दौरान 9 वनडे मैचों में 4 जीत हासिल की व 5 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 2014 से लेकर 2016 के बीच हाशिम अमला ने दक्षिण अफ्रीका के लिए टेस्ट क्रिकेट की भी कप्तानी की। लेकिन यहां भी उनका प्रदर्शन बेहद खराब ही रहा। यहां पर वह केवल अपनी कप्तानी में चार टेस्ट मैच ही जिता पाए।

सचिन तेंदुलकर : भारतीय क्रिकेट इतिहास में भगवान के नाम से जाने वाले सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट इतिहास का सबसे बड़ा खिलाड़ी भी कहा जाता है और हो भी क्यों ना जिस खिलाड़ी ने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर में 40,000 से अधिक रन बनाए हो उसके लिए यह शब्द तो इस्तेमाल ही किया जाएगा। जिस खिलाड़ी के नाम सबसे ज्यादा अंतरराष्ट्रीय शतक हो उसे भगवान कहना लाजमी भी है। क्योंकि इस खिलाड़ी ने ना जाने अपने 25 साल के क्रिकेट करियर में कई ऐसे रिकॉर्ड बनाए हैं जो आज भी नहीं टूट पाए हैं। एक खिलाड़ी के तौर पर सचिन तेंदुलकर को हम शब्दों में नहीं तौल सकते हैं। लेकिन जब सचिन तेंदुलकर की कप्तानी की बात आती है तो उनका प्रदर्शन कप्तान के तौर पर खराब रहा है।

अजहरुद्दीन के कप्तानी से हटने के बाद सचिन तेंदुलकर ने 1997 में भारतीय टीम की कमान संभाली थी। उन्होंने अपनी कप्तानी के दौरान 47 मैचों में कप्तानी की और महज 14 मैचों में ही भारतीय टीम को जीत मिली। तेंदुलकर को जिस वक्त टीम की कमान मिली थी उस वक्त सचिन तेंदुलकर क्रिकेट इतिहास में बेहद शानदार फॉर्म में थे। यही वजह रही थी कि उन्हें कप्तानी सौंपी गई थी लेकिन टीम मैनेजमेंट का यह गणित सही नहीं बैठा जिसके बाद 2000 में सचिन तेंदुलकर ने खुद से ही कप्तानी छोड़ दी थी।

ब्रायन लारा : वेस्टइंडीज के बाएं हाथ के शानदार बल्लेबाज ब्रायन लारा जिनके नाम टेस्ट क्रिकेट में एक मात्र 400 रन का रिकॉर्ड दर्ज है। एक खिलाड़ी के तौर पर ब्रायन लारा की जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है लेकिन एक कप्तान के तौर पर उन्हें वह सफलता हाथ नहीं लगी जो एक खिलाड़ी के तौर पर लगी थी। ब्रायन लारा ने वेस्टइंडीज के लिए 1996 से 2007 के दौरान 47 टेस्ट मैचों में कप्तानी की लेकिन इन 10 सालों में ब्रायन लारा ने केवल 10 टेस्ट जीतें ही हासिल कर सके। आंकड़े थोड़े चौकाने वाले हैं लेकिन ब्रायन लारा की कप्तानी का सच यही है कि एक खिलाड़ी और कप्तान के तौर पर दोनों की भूमिका अलग अलग थी। ब्रायन लारा जहां एक बल्लेबाज के तौर पर विरोधी टीमों के लिए काल बनकर आते थे तो एक कप्तान के तौर पर उनके गलत फैसलों से टीम जीत कर निकल जाती थी। ब्रायन लारा एक कप्तान के तौर पर कभी सफल नहीं हो सके।

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