कभी गुरुद्वारा में गुजारी थी रातें, पिता को भी खो दिया, देखें कैसे फर्श से अर्श तक पहुंचे रिषभ पंत

यूँ तो हर किसी की कामयाबी की कहानी अनोखी होती है लेकिन आज हम जिस भारतीय क्रिकेटर की बात करने जा रहे हैं उन्होंने अपने जीवन में बहुत सारी कठिनाईओं का सामना किया, फिर कहीँ जाकर लोगों ,में उनकी पहचान बनी। हम बात कर रहे है है टीम इंडिया के स्टार विकेटकीपर बल्लेबाज रिषभ पंत की। उत्तराखंड में जन्में पंत भले ही आज युवाओं के बीच खासा लोकप्रिय नजर आ रहे हैं लेकिन उनका दिल्ली के लिए घरेलू क्रिकेट खेलने से लेकर अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट तक पहुंचने का सफर काफी संघर्षपूर्ण रहा है।

उन्होंने फर्श से लेकर अर्श तक का सफर कई कठिनाइयों से गुजर कर पूरा किया है. यह वह समय था, जब उत्तराखंड क्रिकेट का कोई भविष्य नहीं था. इस बात को समझते हुए ऋषभ ने दिल्ली में अपने करियर को आकार देना शुरू किया. दिल्ली में ऋषभ पंत की कोई जान पहचान नहीं थी . वह मोती बाग स्थित गुरुद्वारे में रहने लगे थे. ऋषभ पंत ने खुद एक इंटरव्यू में बताया था कि क्रिकेटर बनने के अपने संघर्ष के दिनों में गुरुद्वारे में भी सो जाया करते थे. ऋषभ पंत ने बताया था कि मेरे पापा भी क्रिकेट खेला करते थे और वह भी चाहते थे कि उनका बेटा क्रिकेटर बने. मैं उत्तराखंड में पैदा हुआ था और रुढ़की में पढ़ाई करता था. उस समय जब मैं रुढ़की में खेला करता था तो मुझे सलाह दी गई थी कि मुझे दिल्ली जाना चाहिए. ऐसे में मैंने दिल्ली जाने का फैसला लिया.

जब रिषभ पंत ने दिल्ली आकर क्रिकेट खेलना शुरू किया तो उनके पास रहने के लिए भी खास जगह नहीं थी और पंत की माता जी गुरुद्वारा में सेवा किया करती थी। उन्होंने खुद बताया था कि ”मैं रुढ़की से दिल्ली अभ्यास करने आता था. रात को दो बजे की बस पकड़कर मैं दिल्ली आता था ताकि मैं यहां प्रैक्टिस कर सकूं. मैं करीब छह घंटे का सफर तय करता था. कभी मैं अपनी दीदी के घर चला जाता था तो कभी गुरुद्वारे में ही सो जाया करता था.”

फिर एक समय ऐसा आया जब रिषभ पंत के ऊपर दुखों का पहाड़ आ गिरा। 2017 के आईपीएल के दौरान उनके पिता का निधन हो गया. पंत की उम्र उस समय महज 20 साल की थी. वह पिता के अंतिम संस्कार में गए और दो दिन बाद ही क्रिकेट मैदान पर वापस आकर उन्होंने अर्द्धशतक जड़ा. दिल्ली डेयरडेविल्स की तरफ से खेलते हुए पंत ने रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के खिलाफ अर्धशतकीय पारी खेली थी. पंत ने 36 गेंदों में 57 रनों की जुझारू पारी खेली थी. पंत के इस साहस की उस वक्त कई दिग्गज खिलाड़ियों ने तारीफ की थी.

आज रिषभ पंत की गिनती विश्व के खतरनाक बल्लेबाज़ो में की जाती है और वह टीम इंडिया की तरफ से तीनो फॉर्मैट पर खेल रहे हैं। इस बार ऑस्ट्रेलिया दौरे में भी पंत की शानदार पारी से भारत ने टेस्ट सीरीज जीती थी। इतना ही नहीं कुछ दिग्गज खिलाडियों का मानना है कि पंत आने वाले समय में भारत की कप्तानी भी करेंगे। पंत की संघर्षपूर्ण कहानी से यह सेख तो मिलती है की अगर आप कड़ी मेहनत और लगन से अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ेंगे तो मंजिल तक जरूर पहुंच जाएंगे।

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